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राजस्थान में यहां एक ही शिला पर 1101 शिवलिंग, सावन में भक्तों की आस्था का केंद्र बना ‘हजारेश्वर महादेव मंदिर’

Sawan 2025 Special: हजारेश्वर महादेव मन्दिर का निर्माण महाराणा जगतसिंह द्वितीय (1734-1751 ई.) के काल में मराठी ब्राह्मण गोविन्द राव ने करवाया। इस मंदिर के गर्भगृह में एक विशाल शिवलिंग स्थापित है।

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हजारेश्वर महादेव मंदिर (फोटो: पत्रिका)

Hazareshwar Mahadev Temple: उदयपुर का अध्यात्म और धर्म से काफी गहरा जुड़ाव रहा है। यहां ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर हैं। भगवान शंकर के भी यहां पर कई प्राचीन और दुर्लभ मंदिर हैं। जिनके दर्शन-पूजन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इन्हीं प्राचीन और दुर्लभ मंदिरों में से एक हजारेश्वर महादेव मंदिर है। झीलों की नगरी में कोर्ट चौराहे स्थित हजारेश्वर महादेव मंदिर ऐतिहासिक होने के साथ ही भक्तों की आस्था का केंद्र है। सावन में यहां हर रोज श्रद्धालु उमड़ रहे हैं।

हजारेश्वर महादेव मन्दिर का निर्माण महाराणा जगतसिंह द्वितीय (1734-1751 ई.) के काल में मराठी ब्राह्मण गोविन्द राव ने करवाया। इस मंदिर के गर्भगृह में एक विशाल शिवलिंग स्थापित है। इस पर 1101 शिवलिंग के एक साथ दर्शन किए जा सकते हैं। यह सारे शिवलिंग एक ही सफेद शिला पर उत्कीर्ण हैं। इस शिला पर प्रत्येक पंक्ति में 100 शिवलिंग हैं। मंदिर में सेवा-पूजा का कार्य मराठी ब्राह्मण परिवार क्षीरसागर गौत्र के वंशजों को सौंपा गया। वर्तमान में प्रकाशचन्द्र भट्ट इस मंदिर की सेवा-पूजा करते हैं।

इतिहासकार डॉ. जी.एल. मेनारिया बताते हैं कि पूर्व होल्कर रियासत इन्दौर की राजमाता अहिल्याबाई 18वीं सदी में महान महिला प्रशासिका थीं। वे भी इस मंदिर की प्रशासक रहीं। मेवाड़ के तत्कालीन महाराणा अरिसिंह ने अहिल्याबाई को धर्म बहन बनाया। इसकी जानकारी इन्दौर के राजकीय संग्रहालय में उपलब्ध ताम्रपत्र पर है। यह ताम्र पत्र वि.सं. 1827 (ई. सन 1779) को रामनवमी के उपलक्ष्य में जारी हुआ।

ऐसे पहुंचे

यह मंदिर रोडवेज बस स्टैंड से करीब दो किलोमीटर और सिटी रेलवे स्टेशन से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर प्रमुख मार्ग पर बना होने से यहां तक आवागमन के लिए नगरीय परिवहन के साधन आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। उदयपुर देश के प्रमुख शहरों से रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा है।