दे दी हमें आजादी: जुर्म कबूल कर माफी मांगने के लिए दबाव बनाया, लेकिन उन्होंने न झुकना स्वीकार किया और ना ही रुकना। सजा काटने के बाद वे फिर सर्वहितकारिणी सभा के माध्यम से जन आन्दोलन में कूद पड़े। आजादी मिलने तक संघर्षरत रहे।
Chandanmal Bahad Churu: मरुस्थल के प्रवेश द्वार चूरू के वीरों ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल बजाया था, जिसकी गूंज ब्रिटेन तक रही। आजादी के प्रहरियों में शामिल रहे।
चूरू निवासी चंदनमल बहड़ का अंग्रेजों के खिलाफ किया संघर्ष अब तक लोगों की जुबान पर है। उन्होंने स्वामी गोपालदास के साथ मिलकर न केवल स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी बल्कि सर्वहितकारिणी सभा की स्थापना कर प्लेग जैसी बीमारी, पीड़ित मानव की सेवा, शिक्षा, बालिका शिक्षा और जन जागृति के ऐसे अभियान चलाए कि अंग्रेजों ने इसे अपने खिलाफ आन्दोलन मान लिया। स्वतंत्रता सेनानी चंदनमल बहड़ का जन्म 20 मार्च 1905 को हुआ था और निधन 10 मार्च 1986 को हुआ।
स्वतंत्रता सेनानी चन्दनमल बहड़ के पुत्र पूर्व सभापति रामगोपाल बहड़ बताते हैं कि चूरू में धर्म स्तूप पर आजादी के दीवानों ने तिरंगा फहराकर आजादी का पर्व मना लिया। बस फिर क्या था, उन्हें राजद्रोह के मामले में जेल में बंद कर दिया।
इन्होंने दलित शिक्षा के लिए कबीर पाठशाला, बालिका शिक्षा के लिए पुत्री पाठशाला, आयुर्वेद औषधालय की स्थापना कर लोगों में चेतना के बीज बोने को निरंतर प्रयत्नशील रहे। सर्वहितकारिणी सभा के छोटे से भवन में चलने वाला नाइट कॉलेज आज राजकीय लोहिया कॉलेज के रूप में जिले का सबसे बड़ा कॉलेज बन गया है।