ICC ने सभी क्रिकेट बोर्ड्स को चेतावनी दी है कि अगले मीडिया राइट्स चक्र के साथ राजस्व में 30% तक की कमी आ सकती है।
दुनिया भर में क्रिकेट सिर्फ खेल ही नहीं बल्कि बम्पर कमाई का साधन भी है। बीसीसीआई से लेकर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया तक दुनिया के सभी बड़े क्रिकेट बोर्ड मीडिया राइट्स से जमकर कमाई करते हैं। लेकिन अब इसपर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) को 2028 में मीडिया राइट्स के रिन्यूअल से होने वाली कमाई में भारी गिरावट का सामना करना पड़ सकता है। हाल ही में डच क्रिकेट बोर्ड (KNCB) के वित्तीय दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि ICC ने अपने सदस्य देशों को चेतावनी दी है कि अगले मीडिया राइट्स चक्र के साथ राजस्व में 30% तक की कमी आ सकती है।
केएनबीसी की वार्षिक आम सभा (AGM) से पहले जारी 'फाइनेंस प्री-रीड' दस्तावेज में साफ लिखा है कि "ICC ने चेताया है कि 2028 में मीडिया कॉन्ट्रैक्ट के रिन्यूअल के दौरान राजस्व में 30% की गिरावट हो सकती है। इसलिए KNCB को तुरंत तैयारी करनी होगी और घरेलू व हाई-परफॉर्मेंस क्रिकेट को सुरक्षित रखने के लिए कदम उठाने होंगे।" केएनबीसी जो ICC फंडिंग पर भारी निर्भर है, ने 2025 के लिए लगभग 1.9 लाख यूरो (करीब 1.7 करोड़ रुपये) के घाटे का अनुमान लगाया है। यह कमी न केवल डच क्रिकेट को प्रभावित करेगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर क्रिकेट के प्रसार को भी झटका देगी।
यह संभावित गिरावट क्रिकेट जगत की पूरी संरचना पर असर डाल सकती है, इसका असर तीन बड़े बोर्ड भारत, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया पर भी पड़ेगा। ज्यादातर फुल मेंबर और एसोसिएट देश अपनी कार्यशैली, खिलाड़ी कॉन्ट्रैक्ट, टेस्ट मैच होस्टिंग, ग्रासरूट कार्यक्रमों और युवा खिलाड़ियों के डेवलपमेंट कॉन्ट्रैक्ट के लिए ICC फंडिंग पर काफी निर्भर रहते हैं। अगर मीडिया राइट्स में 30% की कटौती होती है, तो इसका सीधा असर इन सभी क्षेत्रों पर महसूस किया जाएगा।
KNCB ने अपनी दीर्घकालिक निर्भरता कम करने के लिए कई कदम सुझाए हैं, जिनमें लंबे समय के लिए प्राइवेट पार्टनरशिप को आकर्षित करना, इवेंट-स्पेसिफिक स्पॉन्सर जोड़ना और 2026 पुरुष टी20 वर्ल्ड कप की सफलता का उपयोग करना शामिल है।
ICC की कुल आय का करीब 80% मीडिया राइट्स से आता है, जिसमें भारत का योगदान सबसे बड़ा (70-80%) है। वर्तमान चक्र 2024-2027 में ICC को प्रति वर्ष लगभग 600 मिलियन डॉलर मिल रहे हैं। लेकिन 2028 के लिए बोली प्रक्रिया में रुचि कम होने की आशंका है। यदि 30% कमी हुई, तो वार्षिक राजस्व घटकर 420 मिलियन डॉलर रह सकता है। इससे बीसीसीआई को भी 70-80 मिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है।
दस्तावेज के अनुसार, संभावित गिरावट का बड़ा कारण डिज्नी हॉटस्टार और जियो का विलय है। विलय के बाद अब इस ओटीटी प्लेटफॉर्म का नाम जियो हॉटस्टार हो गया है। इस विलय से भारतीय मीडिया बाजार में प्रतिस्पर्धा घाट गई है। जहां आमतौर पर ICC टूर्नामेंट और भारत के मैचों के प्रसारण अधिकार को पाने के लिए पहले बड़ी-बड़ी बोलियां लगती थी। लेकिन अब एकाधिकार जैसी स्थिति बन गई है। जियो हॉटस्टार के पास आईपीएल, आईसीसी टूर्नामेंट और ईपीएल जैसे प्रमुख स्पोर्ट्स राइट्स हैं, जो भारतीय मीडिया बाजार के 75-80% हिस्से पर कब्जा जमाता है।