वूमेंस क्रिकेट वर्ल्डकप 2025 में 22 विकेट झटककर प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब जीतने वाली दीप्ति शर्मा ने टीम इंडिया की सफलता के लिए बाबा महाकाल का धन्यवाद किया।
Deepti Sharma Visit Mahakaleshwar Temple: 2 नवंबर को आईसीसी वूमेंस क्रिकेट वर्ल्डकप 2025 का खिताब जीतकर इतिहास रचने वाली भारतीय क्रिकेट टीम की सदस्य दीप्ति शर्मा रविवार को सुबह उजैन के महाकालेश्वर मंदिर पहुंची। उन्होंने सुबह आयोजित होने वाली भस्म आरती में भाग लिया। आरती के दौरान भगवान महाकालेश्वर के दर्शन किए और विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर देश की समृद्धि और टीम इंडिया की सफलता के लिए बाबा महाकाल का धन्यवाद किया। बता दें कि दीप्ति ने वर्ल्डकप में न सिर्फ गेंद से बल्कि बल्ले से भी जरूरत पड़ने पर टीम इंडिया के लिए योगदान दिया था।
दीप्ति शर्मा रविवार सुबह मंदिर पहुंचीं और उन्होंने पारंपरिक तरीके से आरती में शामिल होकर श्रद्धाभाव से दर्शन किए। आरती के समय मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी और सभी ने भारतीय टीम की खिलाड़ी का गर्मजोशी से स्वागत किया। दर्शन के बाद मंदिर समिति ने दीप्ति शर्मा का स्वागत किया। उन्हें भगवान महाकालेश्वर का प्रसाद, अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। बता दें कि जब टीम इंडिया विश्व कप में लगातार मुकाबले हार रही थी, तब भारतीय दल ने टूर्नामेंट के बीच महाकालेश्वर मंदिर पहुंचकर भगवान का आशीर्वाद लिया था।
महाकालेश्वर मंदिर में बाबा के दर्शन के बाद टीम इंडिया जीत की पटरी पर लौटी और फिर उन्हें कोई नही हरा सका। सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को शिकस्त देने के बाद फाइनल में साउथ अफ्रीका को हराकर टीम इंडिया ने पहली बार वर्ल्डकप जीत लिया। दीप्ति शर्मा ने फाइनल मैच में 58 रन की पारी खेली थी और गेंदबाजी की दौरान 5 विकेट हासिल किए थे। पूरे टूर्नामेंट में गेंद और बल्ले से शानदार प्रदर्शन के लिए दीप्ति शर्मा को 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' चुना गया।
खिताबी जीत के बाद दीप्ति ने कहा था, "सच कहूं तो, यह एक सपने जैसा लग रहा है। बहुत अच्छा लग रहा है कि मैं विश्व कप फाइनल में इस तरह योगदान दे सकी। हमने हमेशा सोचा है कि हम हर मैच से मिली सीख का उपयोग कैसे कर सकते हैं। एक टीम के रूप में, हम बहुत खुश हैं। मैं जिस भी स्थिति में होती हूं, उसका हमेशा आनंद लेती हूं। मैं परिस्थिति के अनुसार खेलना चाहती थी। मुझे बहुत मजा आया। एक ऑलराउंडर के रूप में यहां प्रदर्शन करने से ज्यादा अद्भुत एहसास और क्या हो सकता है।"