क्रिकेट

सिर्फ बल्लेबाजी नहीं पढ़ाई में भी अव्वल रहीं Pratika Rawal, पिता का सपना पूरा करने के लिए बनीं क्रिकेटर

Pratika Rawal cricket journey: न्यूजीलैंड के खिलाफ अहम मुकाबले में भारतीय ओपनर प्रतिका रावल ने यादगार शतकीय पारी खेली। दिल्ली यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी में ग्रेजुएट प्रतिका ने पिता के सपने को पूरा करने के लिए क्रिकेट को बतौर करियर चुना है।

3 min read
Oct 25, 2025
भारतीय सलामी बल्‍लेबाज प्रतिका रावल। (फोटो सोर्स: IANS)

Pratika Rawal cricket journey: भारतीय ओपनर प्रतिका रावल को भले ही देर से अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला है, लेकिन इस युवा बल्लेबाज ने देर आए दुरुस्त आए की कहावत चरितार्थ कर दिखाई है। प्रतिका उन होनहार बच्चों में से हैं, जो जिस भी क्षेत्र में हाथ आजमाते हैं, सफलता उनके कदम चूमती है। प्रतिका पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहीं और खेलों में भी खुद को बेहतर साबित किया। दिल्ली यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी में ग्रेजुएट प्रतिका स्कूल में बास्केटबॉल खिलाड़ी भी रही हैं, लेकिन अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने क्रिकेट को करियर के तौर पर चुना और आज पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं।

ये भी पढ़ें

सेमीफाइनल में पहुंचते ही टीम इंडिया को मिला दिग्गजों का साथ, लेकिन अंजुम चोपड़ा ने जताई चिंता

न्यूजीलैंड के खिलाफ खेली यादगार पारी

प्रतिका ने न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए आइसीसी वनडे विश्व कप के मुकाबले में यादगार पारी खेली और भारतीय टीम को सेमीफाइनल में जगह दिलाने में अहम भूमिका निभाई। प्रतिका ने 134 गेंदों में 13 चौके व 2 छक्के जड़ते हुए 122 रन बनाए। उन्होंने स्मृति मंधाना के साथ 212 रन की ओपनिंग साझेदारी भी की। इस दौरान प्रतिका ने अपनी 23वीं पारी में 1000 वनडे रन भी पूरे कर लिए।

घर की छत से शुरुआत...

प्रतिका के पिता प्रदीप रावल ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने घर की छत पर ही नेट्स लगा दी थी, ताकि उनकी बेटी अभ्यास कर सके। प्रदीप ने बताया कि यह प्रतिका के लिए कठिन दौर था। मैच नहीं हो रहे थे ऐसे में भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाने के लिए खुद को तैयार तो रखना ही था। प्रतिका प्रतिदिन 400 से 500 गेंदों का सामना करती थीं।

कभी हार नहीं मानी: प्रदीप रावल

यूनिवर्सिटी स्तर तक क्रिकेट खेल चुके प्रदीप रावल ने बताया कि घरेलू क्रिकेट में काफी रन बनाने के बावजूद जब प्रतिका को राष्ट्रीय टीम में मौका नहीं मिल रहा था तो हमारी चिंता भी बढ़ गई थी। लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। प्रदीप ने कहा, मैं अपने दौर में ऑलराउंडर था, लेकिन मुझे उस समय कोई मार्गदर्शन नहीं मिला, इसिलए मैं अपने बच्चे के जरिए अपने सपनों को साकार होते हुए देखना चाहता था। 

प्रतिका जब तीन साल की थी, तब मैंने उसे बल्ला पकड़ना सिखाया। मैं बीसीसीआई का लेवल 1 अंपायर बन गया तो प्रतिका मेरे साथ मैच देखने जाती थी। बास्केटबॉल में वह नेशनल लेवल पर स्वर्ण पदक जीत चुकी है, लेकिन जब वह 10-12 साल की थी तो हमने उसके लिए क्रिकेट को ही चुना।

एकेडमी की पहली लड़की

प्रतिका ने श्रवण कुमार के मार्गदर्शन में कोचिंग शुरू की, जिन्होंने ईशांत शर्मा व हर्षित राणा जैसे प्‍लेयर्स को तराशा है। श्रवण ने बताया कि प्रतिका उनकी एकेडमी में ट्रेनिंग के लिए आने वाली पहली लड़की थी। वह अपने से बड़े लड़कों का डटकर सामना करती थीं। प्रतिका के बाद कई लड़कियां हमारी एकेडमी में आने लगीं, अब यहां 30 से ज्यादा लड़कियां प्रशिक्षण ले रही हैं।

भाई शाश्वत कहते हैं जीनियस

प्रतिका का छोटा भाई शाश्वत रावल उन्हें जीनियस कहता है। शाश्वत ने बताया कि उनकी बहन ने 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 92 प्रतिशत से ज्यादा अंक प्राप्त किए हैं। इसके बाद साइकोलॉजी की डिग्री भी ली है। खेल और पढ़ाई के बीच उन्होंने हमेशा संतुलन बनाए रखा है। वह बहुत मेहनती है। हम सब घूमने-फिरने जाते थे, लेकिन वह अपनी प्रैक्टिस कभी नहीं छोड़ती थी।

24 की उम्र में मिला मौका

प्रतिका को पिछले साल वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू सीरीज के लिए शैफाली वर्मा की जगह वनडे टीम में चुना गया था। उन्हें 24 साल की उम्र में मौका मिला, लेकिन उनके परिवार का कहना है कि देर से ही सही हमारी बेटी को उनकी मेहनत का इनाम तो मिला। हमने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी थी।

Also Read
View All

अगली खबर