IPL Mega Auction 2025: भारत में क्रिकेट फैंस के लिए आईपीएल किसी त्यौहार से कम नहीं होता और हर साल लगभग 2 महीने तक चलने वाले इस इंडिया के त्यौहार के लिए फैंस बेसब्री से इंतजार करते हैं।
IPL Mega Auction 2025: इंडियन प्रीमियर लीग 2025 के लिए दिसंबर में ऑक्शन होने की संभावना है। उससे पहले 31 अक्टूबर 2024 तक सभी 10 फ्रेचाइंजी को अपने रिटेन खिलाड़ियों की लिस्ट जारी करनी होगी। इसके बाद ऑक्शन में सभी टीमें खिलाड़ियों पर बोली लगाएंगी और एक नए सिरे से टीम को तैयार करेंगी। इस बार नए रिटेंशन नियन के तहत एक टीम ज्यादा से ज्यादा 6 खिलाड़ियों को रिटेन कर सकती हैं। इस दौरान कम से कम एक अनकैप्ड खिलाड़ी को भी रिटेन करना होगा। चलिए जानते हैं कौन होता है अनकैप्ड खिलाड़ी, कैसे होता है उनका ऑक्शन तक का सफर तय, कैसे उनकी तय होती है बेस प्राइज और ऑक्शन से पहले कौन उनके प्रदर्शन पर रखता है निगरानी।
आईपीएल ऑक्शन शुरू होने से पहले कैप्ड और अनकैप्ड शब्द आपको ज्यादा सुनने और पढ़ने को मिलते होंगे। पिछले आईपीएल ऑक्शन में शमीर रिजवी ने इतिहास बनाया था और सबसे हमंगे अनकैप्ड खिलाड़ी बने थे। चलिए जानते हैं क्या होता है आईपीएल में अनकैप्ड खिलाड़ी (What is an uncapped player in IPL?)। जिस क्रिकेटर ने अपने देश के लिए अंतरराष्ट्रीय मैच खेले होते हैं वह कैप्ड खिलाड़ी होता है और जिसने डेब्यू नहीं किया होता है वह अनकैप्ड खिलाड़ी होता है।
आईपीएल ऑक्शन के दौरान जब खिलाड़ियों को बोली लगती है तो एक ऐसा सेक्शन भी होता है, जिस दौरान बोली में सिर्फ अनकैप्ड खिलाड़ी ही शामिल होते हैं। अनकैप्ड खिलाड़ी ऑक्शन के लिए अपना नाम रजिस्टर्ड करवाता है। यह प्रक्रिया राज्य क्रिकेट संघ द्वारा पूरा होता है। फिर वह जिस भी राज्य से खेल रहा होता है, उसके और खिलाड़ी के सहमति से खिलाड़ी का बेस प्राइज तय होता है। उनकैप्ड खिलाड़ियों के लिए बेस प्राइज में भी 3 वर्ग होते हैं। आईपीएल 2025 ऑक्शन के दौरान पहली कैटेगरी में शामिल खिलाड़ियों की प्राइज 30 लाख, दूसरे में 40 लाख और तीसरे में 50 लाख होगी।
जो भी खिलाड़ी ऑक्शन में शामिल होता है या होना चाहता है। उससे सबसे पहले अपने राज्य संघ क जरिए ऑक्शन में अपना नाम रजिस्टर्ड करवाना होता है। वह खिलाड़ी कम से कम अपने राज्य संघ से खेल चुका हो। मतलब यह है कि खिलाड़ी कहीं का भी हो लेकिन वह रणजी जरूर खेला होना चाहिए। वह अपना नाम ऑक्शन लिस्ट में डालता है और फिर फ्रेंचाइजी पर डिपेंड है उसके बारे में रिसर्च कर ले सकते हैं। हर आईपीएल टीम में टैलेंट स्कॉउट होता है। जिसका काम ही यही होता है कि घरेलू प्रतियोगिताओं में ऐसे खिलाड़ियों पर नज़र रखा जाए। यहीं से फ्रेंचाइजी खिलाड़ियों के प्रदर्शन को देखकर ऑक्शन के समय फैसला लेती है कि उस खिलाड़ी पर बोली लगानी है या नहीं।
जिस भी खिलाड़ी को ऑक्शन में निराशा हाथ लगती है, वह फिर से अपने राज्य या अपने जिस भी एकेडमी में अभ्यास करते हैं, वहां अगले सीजन के लिए तैयारी करने में जुट जाते हैं। यह प्रोसेस सिर्फ अनकैप्ड खिलाड़ी ही नहीं बल्कि कैप्ड और बड़े बड़े दिग्गज भी यही फॉलो करते हैं।