ऑस्ट्रेलिया से भारत ने पांच टेस्ट मैचों की बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से गंवा दी है । इसके साथ ही भारत विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में लगातार तीसरी बार जगह बनाने से चूक गया।
Simon Katich on Rohit Sharma: बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 गंवाने वाली भारतीय क्रिकेट टीम के नियमित कप्तान रोहित शर्मा का पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर साइमन कैटिच ने मजाक उड़ाया है। उन्होंने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के ब्रॉडकास्टर्स से बातचीत में कहा कि अगर आप उनके आंकड़े देखें तो वे अच्छे नहीं है। हमने इसे टेस्ट मैच के दौरान देखा। उनके लिए 5वें टेस्ट मैच से बाहर होना निःस्वार्थ था। मैंने उनका वह इंटरव्यू देखा, बहुत अच्छी तरह से बात की। इसमें कोई संदेह नहीं कि अनुभवी बल्लेबाज का भविष्य अब क्रिकेट के बजाय स्टैंड-अप कॉमेडी में है, क्योंकि उनका ह्यूमर गजब का है।
उन्होंने आगे कहा कि 37 साल की उम्र में उसके पास फिर से खेलने की भूख या इच्छाशक्ति है या नहीं, केवल वही जानता है। इंग्लैंड से सीरीज आसान नहीं होने वाली है। उनके पास कुछ युवा तेज गेंदबाज है। गस एटकिंसन और ब्रायडन कार्स अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। मैं यह कह सकता हूं कि अगर वह इस दौरे पर जाने का फैसला करते हैं और भारतीय चयनकर्ता उन्हें सबसे पहले चुनते हैं तो यह कठिन दौरा होगा। BGT के रोहित शर्मा के आंकड़े पढ़ने लायक नहीं हैं। टेस्ट क्रिकेट में 37 साल के खिलाड़ियों के लिए शीर्ष क्रम में जगह नहीं है।
ऑस्ट्रेलिया से भारत ने पांच टेस्ट मैचों की बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से गंवा दी है । इसके साथ ही विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में लगातार तीसरी बार जगह बनाने से चूक गया। अपने दूसरे बच्चे के जन्म के कारण रोहित शर्मा बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का पहला टेस्ट मैच नहीं खेल पाए थे। सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में खेले गए 5वें टेस्ट में आराम करने से पहले 5 पारियों में 10 रन से अधिक स्कोर नहीं बना पाए। इतनी ही नहीं उन्होंने सीरीज की 5 पारियों में केवल 31 रन बनाए। लंबे समय से खराब प्रदर्शन के चलते वह आलोचकों के निशाने पर बने हुए हैं।
खराब फॉर्म के चलते रोहित शर्मा के संन्यास की अटकलें लगाई जा रही थी, लेकिन सिडनी टेस्ट मैच के दौरान ब्रॉडकास्टर्स के साथ इंटरव्यू में उन्होंने इस तरह की तमाम खबरों को सिरे से खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि कोई क्या बोल रहा है, इससे हमारी जिंदगी नहीं चलती है। ये लोग फैसला नहीं ले सकते कि हम संन्यास कब लें। हम कब नहीं खेलें। हमें कब बाहर बैठना है या हम कब कप्तानी करें। हमें यथार्थवादी होना होगा।