Richa Ghosh appointed DSP in Bengal Police: विश्व विजेता ऋचा घोष को बंगाल सरकार ने राज्य पुलिस में पुलिस उपाधीक्षक (DSP) नियुक्त किया है। इसके साथ ही उनके लिए ईडन गार्डन्स में एक भव्य समारोह का आयोजन भी किया गया।
Richa Ghosh appointed DSP in Bengal Police: भारत के लिए पहला आईसीसी महिला वर्ल्ड कप जीतने वाली प्लेयर्स के लिए राज्य सरकारों ने अपने खजाने खोल दिए हैं। किसी खिलाड़ों को करोड़ों का प्रोत्साहन मिला है तो किसी को जमीन मिली और किसी को सरकारी नौकरी। वहीं, ऋचा घोष भी अब क्रिकेट के साथ नई भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। इस विश्व कप विजेता क्रिकेटर को बंगाल सरकार ने राज्य पुलिस में पुलिस उपाधीक्षक (DSP) नियुक्त किया। 22 वर्षीय क्रिकेटर शनिवार दोपहर में कोलकाता स्थित पुलिस मुख्यालय गईं और राज्य पुलिस के उच्च अधिकारियों से मुलाकात की, जहां उनकी नियुक्ति को अंतिम रूप दिया गया। बंगाल क्रिकेट संघ (CAB) ने ईडन गार्डन्स में ऋचा के लिए एक घंटे का भव्य सम्मान समारोह भी आयोजित किया।
ऋचा घोष अब अपनी विश्व कप विजेता साथी दीप्ति शर्मा (उत्तर प्रदेश पुलिस) की तरह पुलिस उपाधीक्षक बन गई हैं। उनके अलावा भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज भी तेलंगाना पुलिस में डीएसपी हैं। पूर्व विश्व कप विजेता जोगिंदर शर्मा भी हरियाणा पुलिस इसी पद पर तैनात हैं।
ईडन गार्डन्स में ऋचा को एक गोल्ड बैट और बॉल भेंट की गई। जबकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने व्यक्तिगत रूप से उन्हें बंग भूषण पदक, डीएसपी नियुक्ति पत्र और एक सोने की चेन सौंपी। सीएबी ने उन्हें 34 लाख रुपये का चेक भी दिया। ये राशि विश्व कप फाइनल में उनके द्वारा बनाए गए रनों के लिए प्रति 1 लाख रुपये है। इस दौरान मंच पर पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली और झूलन गोस्वामी भी मौजूद रहीं।
सीएबी अध्यक्ष गांगुली ने उनके स्ट्राइक रेट पर जोर देते हुए कहा कि मैं पारी की शुरुआत करता था, लेकिन जानता हूं कि सफेद गेंद वाले क्रिकेट में छठे और सातवें नंबर के बल्लेबाजों की भूमिका कितनी मुश्किल होती है। आपको ज़्यादा से ज़्यादा रन बनाने के लिए कम से कम गेंदें मिलती हैं। ऋचा के स्ट्राइक ने इस विश्व कप में भारत के अभियान में अहम भूमिका निभाई।
वहीं, दिग्गज झूलन ने उन दिनों को याद किया जब उन्होंने पहली बार ऋचा को देखा था। गोस्वामी कहा कि 2013 की बात है, जब बंगाल क्रिकेट अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा था। इसलिए मैंने सीएबी अधिकारियों से एक प्रतिभा खोज कार्यक्रम शुरू करने का अनुरोध किया। जैसे ही उन्होंने विनम्रतापूर्वक सहमति व्यक्त की, मुझे ज़िलों में जाने का अवसर मिला और इस तरह मैंने पहली बार ऋचा को देखा।