विद्यार्थी के स्तर पर जाकर पढ़ाना बड़ी कला, बच्चों की मैम नहीं कहलाती हैं शीला दीदी,बीते साल राज्यपाल से पुरस्कृत, शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से राष्ट्रपति से होंगी सम्मानित
दमोह. वो बच्चों के साथ खेलती है। उनके जैसे बात करती हैं। उनके साथ पढऩे, लंच करने बैठ जाती हैं और इसी दौरान बच्चों को तक वह पहुंचा देती हैं, जो बच्चे ग्रहण करना चाहते हैं। विद्यार्थी के स्तर तक जाकर पढ़ाने की इस कला ने शीला पटेल को बच्चों की मैम नहीं शीला दीदी बना दिया है। उनकी दूसरी विशेषता नवाचार को प्रयोगात्मक रूप से सफलता तक ले जाना है। उसके लिए वह न तो मौसम देखती हैं और न समय। अपने अनोखे परफॉर्म के दम पर शिक्षक शीला पटेल २०२४ में राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान से पुरस्कृत हो चुकी हैं और अब २०२५ में वह राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से पुरस्कृत होंगी। इसके लिए वह दिल्ली जा चुकी हैं।