दमोह

8.83 करोड़ से संवर रहा रानी दुर्गावती का किला, टूरिस्ट से होगा आबाद, दूर-दूर तक थी किलाबंदी की चर्चा

Rani Durgavati Fort: गोंड रानी 'दुर्गावती' की 500वीं जयंती है और दमोह जिले के सिंग्रामपुर में होने जा रही सीएम की कैबिनेट बैठक के कारण चर्चा में है। कभी रानी दुर्गावती के शासन से आबाद रहने वाला किला एक बार फिर टूरिस्ट को गौरवगाथा सुनाता नजर आएगा। जल्द ही इसे संवारने का काम पूरा होगा और ये टूरिस्ट के लिए खोल दिया जाएगा..

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Oct 05, 2024
गोंड रानी दुर्गावती रहस्यमयी किला, टूरिस्ट को करता है अट्रैक्ट.

दमोह से लगभग 60 किलोमीटर दूर जबलपुर रोड पर स्थित है सिंगौरगढ़ किला। केंद्रीय संरक्षित स्मारक किला रानी दुर्गावती के शासनकाल की महत्त्वपूर्ण धरोहर है। दमोह जिले में पहाड़ी पर स्थित किला अपनी अद्वितीय स्थापत्य कला और सामरिक महत्त्व के कारण किलेबंदी के रूप में पहचाना गया है। इसे कलचुरी राजवंश द्वारा पहाड़ी की चोटी पर बनाया गया है।

किले के चारों ओर लगभग आठ किलोमीटर में बाहरी परकोटा है, जो किले की बाहरी सुरक्षा सुनिश्चित करता था। किले के अंदरूनी हिस्से में भी एक परकोटा है। भीतर रानी महल, विशाल जल कुंड, मंदिरों के अवशेष और अन्य स्थापत्य संरचनाएं हैं।

अतीत को बचाने के प्रयास

गढ़ा मंडला के राजा संग्राम शाह ने अपने साम्राज्य का विस्तार किया। इनके पूर्वज 1480 से पहले दो-चार गढ़ के अधिकारी थे, परंतु संग्राम शाह ने 52 गढ़ हासिल किए। इसमें दमोह जिले के दमोह, हटा, मड़ियादो, सिंगौरगढ़ थे। संग्राम प्रतापी राजा थे, जो मदनमहल (जबलपुर) में रहते थे। गढ़ा से राज्य करते थे। उनके बेटे दलपत शाह सिंगौरगढ़ मेंरहना पसंद करते थे।

ये काम हुए

किले के संरक्षण का काम चार चरणों में किया जा रहा है। कुल ₹8.83 करोड़ मंजूर किए गए हैं। 2020-21 में परियोजना के पहले चरण में एक करोड़ 4 लाख के कार्य किए गए। हाथी गेट के प्रवेश मार्ग की मरम्मत, रिटेनिंग दीवार का निर्माण, पुराने को हटाकर नए प्लास्टर का कार्य। गुम्बद की मरम्मत। किला परिसर में सैंड स्टोन फ्लोरिंग और लाइम कांक्रीट कार्य भी किया गया। यह 2023-24 में पूरा हुआ।

Updated on:
05 Oct 2024 01:53 pm
Published on:
05 Oct 2024 01:16 pm
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