CG Ganesh Chaturthi: गीदम जिले की धार्मिक नगरी बारसूर में स्थापित छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी युगल गणेश प्रतिमा इस गणेशोत्सव के अवसर पर भी उपेक्षित नजर आ रही है। ये विशाल प्रतिमाएँ न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि देश-विदेश में भी छत्तीसगढ़ का मान बढ़ा रही हैं।
CG Ganesh Chaturthi: छत्तीसगढ़ के गीदम जिले की धार्मिक नगरी बारसूर में स्थापित छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी युगल गणेश प्रतिमा इस गणेशोत्सव के अवसर पर भी उपेक्षित नजर आ रही है। बलुआ पत्थर से निर्मित इन दक्षिणमुखी युगल गणेश प्रतिमाओं को छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी गणेश प्रतिमा का दर्जा प्राप्त है। ये विशाल प्रतिमाएँ न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि देश-विदेश में भी छत्तीसगढ़ का मान बढ़ा रही हैं, बावजूद इसके इनके परिसर में श्रद्धालुओं के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।
CG Ganesh Chaturthi: स्थानीय युवाओं ने ग्रामवासियों की मदद से परिसर के बाहर साज-सज्जा, विद्युत, स्वागत द्वार, पेयजल और पार्किंग की व्यवस्था की है। इसके बावजूद, पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पुरातत्व विभाग और प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।
गणेशोत्सव के दौरान देश भर में धूम मची रहती है, लेकिन छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े गणेश जी के परिसर में पुरातत्व विभाग और शासन-प्रशासन की उपेक्षा से स्थिति की कोई सुध नहीं ली गई है। दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु दर्शन के बाद सूनेपन का अनुभव करते हैं। स्थानीय युवाओं ने कई बार पुरातत्व विभाग और शासन-प्रशासन से तीन दिवसीय महोत्सव की मांग की, लेकिन कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली।
गणेशोत्सव के अवसर पर 11 दिनों तक विधिपूर्वक गणेशजी की पूजा-अर्चना की जाएगी। युवा समिति के संरक्षक जगत पुजारी, रामलाल नेगी, भुवनेश्वर भारद्वाज, सुखराम नेगी और अन्य युवाओं ने बताया कि नवमी के दिन दंतेवाड़ा जिले के श्रद्धालुओं को आमंत्रित किया गया है। शिवानंद आश्रम, गायत्री परिवार और पतंजलि परिवार के माध्यम से जिले के श्रद्धालु महाआरती में शामिल होंगे और प्रतिवर्ष आयोजन को भव्य स्वरूप दिया जाएगा।
लगभग 1600 वर्ष पूर्व छिंदक नागवंशी राजाओं द्वारा बारसूर में इन युगल गणेश प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा की गई थी। दक्षिण दिशा से आने वाली विपदाओं को ध्यान में रखते हुए राजा ने विशाल दक्षिणमुखी युगल गणेश की स्थापना की थी। बड़ी प्रतिमा लगभग आठ फुट ऊँची और चार फुट चौड़ी है, जबकि छोटी प्रतिमा पांच फुट ऊँची और दो फुट चौड़ी है। दोनों प्रतिमाएँ एक ही विशाल बलुआ चट्टान से बनाई गई हैं।
पुरातत्व विभाग से पत्राचार कर युगल गणेश की प्रतिमाओं को संरक्षित करने को कहा जायेगा। पुरातत्व विभाग से संरक्षित होने के कारण इनमे शासन प्रशासन कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।