Kumharras Dam: दंतेवाड़ा जिले के कुम्हाररास डैम में आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटे नक्सली अब बैंबू राफ्टिंग और वाटर स्पोर्ट्स गतिविधियों से जुड़कर अपनी नई पहचान बना रहे हैं।
Kumharras Dam: कभी जंगलों में बंदूक थामे दहशत फैलाने वाले हाथ अब नाव के चप्पू चला रहे हैं। दंतेवाड़ा जिले में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली अब समाज की मुख्यधारा से जुड़कर जिले के पर्यटन को नई दिशा दे रहे हैं। पुलिस और जिला प्रशासन की अभिनव पहल के तहत कुम्हाररास डैम में पूर्व नक्सली अब बैंबू राफ्टिंग चलाकर सैलानियों को बस्तर की प्राकृतिक सुंदरता से रूबरू करा रहे हैं। यह पहल न सिर्फ उनके जीवन में समान और आत्मनिर्भरता ला रही है, बल्कि जिले के पर्यटन विकास का भी प्रतीक बन गई है।
मुख्यधारा में लौटे इन नक्सलियों के लिए प्रशासन ने रोजगार के नए अवसर खोले हैं। वन विभाग, जिला प्रशासन और अन्य विभागों के सहयोग से उन्हें वाटर स्पोर्ट्स गतिविधियों से जोड़ा गया है। कुम्हाररास में सरेंडर नक्सलियों और गांव के युवाओं के साथ मिलकर बैंबू राफ्टिंग, मोटर बोट और कयाकिंग जैसी गतिविधियां शुरू की गई हैं। यहां रोजाना 50 से 80 पर्यटक पहुंच रहे हैं, जबकि छुट्टियों में यह संया और बढ़ने की उम्मीद है। संचालन से होने वाली कमाई समिति के खाते में जमा होती है और फिर बराबर बांटी जाती है।
इन गतिविधियों को शुरू करने से पहले सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें तैराकी, सुरक्षा नियमों और राटिंग संचालन की बारीकियां सिखाई गईं। बस्तर जिले के धुड़मारास गांव से प्रशिक्षकों को बुलाकर बैंबू राफ्टिंग बनाना और चलाना सिखाया गया। प्रशासन की मंशा है कि इससे न केवल पूर्व नक्सलियों को रोजगार मिले, बल्कि गांव के युवाओं में भी पर्यटन के प्रति रुचि बढ़े। बस्तर में कभी जो बंदूक की नाल से आतंक फैलाते थे, वे अब बांस की नाव से उम्मीद और बदलाव की दिशा में पतवार चला रहे हैं। यह कहानी बताती है कि जब अवसर और विश्वास मिले, तो हिंसा की राह छोड़ इंसान विकास और शांति का मार्ग चुन सकता है।
कमालूर गांव के आत्मसमर्पित नक्सली मोहन भास्कर कहते हैं, ‘‘मैं पहले नक्सल संगठन में आईईडी लगाना, सड़क काटना और पुलिस की रेकी करने जैसे काम करता था। अब वही हाथ नाव का चप्पू चला रहे हैं। सैलानियों को बैंबू राफ्टिंग की सैर कराना मेरे लिए गर्व की बात है। अब समान भी मिला है और रोजगार भी।’’ वहीं दूसरे सरेंडर नक्सली कमलू का कहना है, ‘‘पहले गलत रास्ते पर था, लेकिन अब यह काम आनंद और आजीविका दोनों दे रहा है।’’
Kumharras Dam: कुम्हाररास में वाटर स्पोर्ट्स की शुरुआत सरेंडर नक्सलियों और स्थानीय युवाओं के सहयोग से की गई है। यह पहल उनके पुनर्वास और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। आगे और भी आत्मसमर्पित नक्सलियों को इसमें प्रशिक्षण देकर जोड़ा जाएगा: सागर जाधव, डीएफओ दंतेवाड़ा