Dausa Temple land Encroachment News: ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सरपंच, तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर और यहां तक कि मुख्यमंत्री को भी लिखित में अवगत कराने के बावजूद इन दबंगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उनकी शिकायत अनसुनी की जा रही है।
Dausa News: दौसा जिले के ग्राम गादरवाडा ब्राह्मणान में मंदिर माफी की जमीन और आम रास्ते पर दबंगों द्वारा कब्जा करने के विरोध में पुजारी और ग्रामीण 'ठाकुर जी' (भगवान सीताराम जी की मूर्ति) को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे। ग्रामीणों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर न्याय की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिलने पर निराशा हाथ लगी।
ग्रामीणों का कहना है कि गादरवाड़ा ब्राह्मणान से बास-गुढ़लिया सड़क को जोड़ने वाला खाता संख्या 21 में जाने वाला कच्चा आम रास्ता मालियों की ढाणी के कुछ लोगों ने अवरुद्ध कर दिया है। इसके अलावा, इन लोगों ने खाता संख्या 21 के पास स्थित खसरा नं. 34 (सिवाय चक) पर भी पूरी तरह से कब्जा कर लिया है।
पुजारी लल्लूराम शर्मा के अनुसार, भगवान सीतारामजी के मंदिर की सेवा पूजा से ही उनके परिवार का जीवनयापन होता है। खसरा नं. 21 में 14 खातेदार हैं, जिनमें 2 विधवा और 2 बीपीएल परिवार शामिल हैं। प्रधानमंत्री खाद्य सुरक्षा से कुछ राशन मिलने के कारण ही उन्हें थोड़ी राहत मिल रही है, अन्यथा गुजारा करना मुश्किल हो जाता।
पुजारी ने बताया कि मालियों की ढाणी से बांदीकुई तहसील में कार्यरत दो पटवारी लोगों को गुमराह कर रहे हैं और खुद को एसडीएम, बांदीकुई बताकर मनमानी कर रहे हैं। इस वजह से गांव में लगातार लड़ाई-झगड़े की आशंका बनी हुई है और किसान जमीन पर खेती भी नहीं कर पा रहे हैं।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सरपंच, तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर और यहां तक कि मुख्यमंत्री को भी लिखित में अवगत कराने के बावजूद इन दबंगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उनकी शिकायत अनसुनी की जा रही है।
एक और विवाद यह है कि रेलवे के ठेकेदार द्वारा मिलीभगत से मालियों की ढाणी के लिए रेलवे लाइन के पास से रास्ता दे दिया गया है, जिससे तनाव की स्थिति बनी हुई है। ग्रामीणों की मांग है कि ग्राम गादरवाडा ब्राह्मणान को भी खसरा नं. 34 के नजदीक मौजूद रेलवे फाटक संख्या 164 और 165 के बीच में से रास्ता दिया जाए।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया और रास्ता नहीं खोला गया, तो वे आंदोलन करेंगे और आत्मदाह करने को मजबूर होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी। न्याय के लिए "ठाकुर जी" को लेकर कलेक्ट्रेट आने की यह घटना प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।