Rakshabandhan News: धराली (उत्तरकाशी) के आपदा प्रभावित क्षेत्रों के निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ एक भावुक क्षण हुआ, जब एक बहन ने अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर उनकी कलाई पर राखी बांधी। कपड़े के टुकड़े में बंधा यह विश्वास, सुरक्षा का वचन और मानवता का संदेश पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया।
Rakshabandhan Celebration: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में शुक्रवार को एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने वहां मौजूद हर व्यक्ति के दिल को छू लिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आपदा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर रहे थे, तभी भीड़ में से एक महिला आगे आई और अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर उनकी कलाई पर राखी बांध दी। यह राखी न धागे से बनी थी, न इसमें थाली, चंदन या मिठाई थी। यह एक साधारण कपड़े का टुकड़ा था, लेकिन उसमें रिश्ते का सच्चा एहसास, सुरक्षा का वचन और मानवता का सबसे सुंदर रूप समाया था।
मुख्यमंत्री अपने दल के साथ आपदा से बर्बाद घरों, टूटे पुलों और मलबे से भरी सड़कों का निरीक्षण कर रहे थे। गांव में जगह-जगह लोग अपने टूटे आशियानों के बाहर खड़े थे। इसी दौरान, एक महिला चुपचाप आगे आई, उसकी आंखों में नमी और चेहरे पर दृढ़ता थी। उसने बिना कुछ कहे अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ा और उसे सावधानी से मुख्यमंत्री की कलाई पर बांध दिया। मुख्यमंत्री कुछ क्षण के लिए मौन हो गए। उनके चेहरे पर भावुकता साफ झलक रही थी। उन्होंने महिला की ओर देखते हुए हाथ जोड़कर आशीर्वाद स्वरूप सिर झुकाया।
राखी का धागा हमेशा से भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक रहा है, लेकिन यह राखी परंपरागत धागे से अलग थी। इसमें एक बहन की प्रार्थना थी,अपने गांव की सुरक्षा, अपने परिवार की सलामती और आपदा से राहत की उम्मीद। मुख्यमंत्री के लिए यह केवल एक बंधन नहीं, बल्कि उनके कंधों पर आया एक नया दायित्व था,उस विश्वास को निभाने का, जो एक बहन ने उनमें जताया।
धराली और आसपास के क्षेत्रों में हाल ही में भारी बारिश और भूस्खलन ने तबाही मचाई है। कई घर मलबे में दब गए, सड़कें टूट गईं, और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना पड़ा। राहत और बचाव कार्य अभी भी जारी हैं, लेकिन पहाड़ी इलाके की भौगोलिक चुनौतियां इस प्रक्रिया को कठिन बना रही हैं। गांव के लोग कई दिनों से अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं। पीने के पानी, भोजन और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी उनकी मुश्किलें बढ़ा रही है।
राखी बांधने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि "ना थाली, ना चंदन केवल एक कपड़े का टुकड़ा, लेकिन उसमें रिश्ते का सच्चा एहसास, सुरक्षा का वचन और मानवता का सबसे सुंदर रूप समाया था। यह कोई सामान्य राखी नहीं थी, यह भरोसे की, अपनत्व की, और उस रिश्ते की जो खून से नहीं, दिल से जुड़ता है।" उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार हर प्रभावित परिवार के पुनर्वास और मदद के लिए हर संभव कदम उठाएगी।
गांव के लोगों ने इस घटना को मुख्यमंत्री के मानवीय पक्ष का प्रतीक बताया। एक बुजुर्ग महिला ने कहा, “हमने पहले कभी किसी नेता को इस तरह भावुक होते नहीं देखा। यह हमारे लिए गर्व और भरोसे का पल है।” युवाओं ने इसे सोशल मीडिया पर साझा किया, और यह तस्वीर व वीडियो कुछ ही घंटों में वायरल हो गए।
यह घटना सिर्फ मुख्यमंत्री और महिला के बीच का भावुक पल नहीं थी, बल्कि एक संदेश था कि संकट के समय रिश्ते, विश्वास और संवेदनाएं किसी भी प्रशासनिक औपचारिकता से बड़ी होती हैं। राखी के इस रूप ने यह साबित कर दिया कि भाई-बहन का बंधन केवल खून के रिश्ते तक सीमित नहीं है। यह विश्वास और अपनत्व पर भी टिका होता है, जो इंसानियत को और मजबूत बनाता है।
यह घटना रक्षाबंधन के अवसर के करीब हुई, जब पूरे देश में बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर सुरक्षा का वचन लेती हैं। लेकिन धराली की यह राखी अनोखी थी यह एक बहन का अपने गांव और समुदाय के लिए सुरक्षा का अनुरोध था, जिसे मुख्यमंत्री ने व्यक्तिगत जिम्मेदारी के रूप में स्वीकार किया।
मुख्यमंत्री ने मौके पर अधिकारियों को निर्देश दिया कि राहत शिविरों में पर्याप्त भोजन और पानी उपलब्ध कराया जाए। बीमार और बुजुर्ग लोगों के लिए मोबाइल मेडिकल टीम तैनात की जाए। क्षतिग्रस्त घरों का सर्वेक्षण तुरंत पूरा कर मुआवजा प्रक्रिया शुरू की जाए। स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के लिए अस्थायी कक्षाओं की व्यवस्था की जाए।