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25 km का रेलवे ट्रैक तैयार, अब फाइनल ट्रैक का काम शुरू, जल्द दौड़ेंगी ट्रेनें

MP News: इंदौर-दाहोद रेल परियोजना के तहत कई प्रोजेक्ट पर एक साथ काम चल रहा है। इससे जल्द ही धार तक रेल का संचालन शुरू होने की संभावनाएं भी प्रबल हो गई है। इसी कड़ी में फाइनल ट्रैक का काम भी शुरू हो गया है।

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Oct 06, 2025
Indore-Dahod Rail Line track (फोटो सोर्स _ @RailMinIndia)

MP News:इंदौर-दाहोद रेल परियोजना(Indore-Dahod Rail Line) के तहत कई प्रोजेक्ट पर एक साथ काम चल रहा है। इससे जल्द ही धार तक रेल का संचालन शुरू होने की संभावनाएं भी प्रबल हो गई है। इसी कड़ी में फाइनल ट्रैक का काम भी शुरू हो गया है। स्थाई पटरी बिछाने और ट्रैक पर तेजी से काम किया जा रहा है। विशेष ट्रैक्टर-ट्रॉली का इस्तेमाल हो रहा है, जिसकी मदद से लोहे की पटरी व गिट्टी को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का कार्य आसान हो गया। भविष्य के हिसाब से काम को अंजाम दिया जा रहा है।

नौगांव क्षेत्र में पिछले तीन-चार दिनों से ट्रैक पर मशीन और मजदूरों द्वारा काम किया जा रहा है। रेल के इंजन की तरह दिखाई देने वाला ट्रैक्टर पटरी पर दौड़ लगाने लगा है, जो लोगों के लिए भी कौतूहल बना हुआ है। जिनका मनाना है कि रेलवे ट्रैक की बुनियाद रख दी है और अब वह दिन दूर नहीं है, जब धार के लोगों का सपना हकीकत बनने वाला है।

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40 में से 25 किमी का फाइनल ट्रैक तैयार

रेलवे अधिकारियों की मानें तो पूर्व में जो पटरी बिछाई गई है, वह स्थाई नहीं थी। सिर्फ डेमो थी, अब उसके स्थान पर स्थाई पटरी डाली जा रही है। पूर्व में बेस तैयार किया गया था। वहीं अब फाइनल ट्रैक बन रहा है। अभी धार से गुणावद के बीच 14 किमी में वर्क चल रहा है। गुणावद, लेबड़, सागौर, पीथमपुर के बीच कई जगह पटरी बिछा दी गई है। धार से इंदौर के बीच की रेलवे दूरी 40 किमी है। इसमें से 25 किमी का ट्रेक तैयार हो चुका है।

ट्रैक्टर में टायर की जगह लगाए लोहे के पहिये

इंदौर-अहमदाबाद फोरलेन के समीप रेलवे द्वारा कार्य किया जा रहा है। स्थाई पटरी डालने के लिए लेबर सहित मशीनों से काम किया जा रहा है। वहीं राजस्थान से ट्रैक्टर मंगवाकर उसमें टायर की जगह लोहे के पहिए लगाकर पटरी पर चलाया जा रहा है। जिससे कार्य को गति मिल रही है।

15 दिन पहले अधिकारियों ने किया था निरीक्षण

अर्थवर्क और ट्रैक की मजबूती को चेक करने के लिए तकरीबन 15 दिन पहले रेलवे अधिकारियों ने निरीक्षण किया था। तब भी धार से गुणावद के बीच ट्रॉली चलाकर कार्य की गुणावत्ता को परखा गया था। ये इंस्पेक्शन रेलवे के चीफ इंजीनियर, वरिष्ठ अधिकारी और लोकल के कर्मचारियों द्वारा किया गया था। तीन से चार घंटे तक ट्रॉली में बैठकर अलग-अलग लोकेशन पर जांच की।

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Published on:
06 Oct 2025 03:01 pm
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