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Ekadashi Vrat: एकादशी का व्रत खंडित होने पर क्या करें, जानें प्रायश्चित का नियम और मंत्र

ekadashi vrat khandit ho to kya kare व्रत रखने वाले लोग कई बार जाने अनजाने व्रत खंडित कर बैठते हैं। फिर वो चिंतित और दुष्परिणाम से भयभीत होते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं एकादशी व्रत खंडित होने पर क्या करना चाहिए। साथ ही प्रायश्चित का नियम क्या है और व्रत भंग होने पर किस मंत्र का जाप करना चाहिए...

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May 28, 2024
एकादशी व्रत खंडित होने पर क्या करें

भूल होने पर डरें न

व्रत और पूजन आदि कर्म पूर्णतः श्रद्धा एवं भक्ति भावना से किए जाते हैं। अतः व्रत में अज्ञानतावश कोई भूल हो भी जाती है तो अपने आराध्य पर पूर्ण विश्वास करते हुए उनसे क्षमा-याचना करनी चाहिए। इसमें भयभीत होने की जरूरत नहीं है, लेकिन व्रत में आलस्य और प्रमाद के प्रभाव में आकर मनमाना आचरण करने से बचना चाहिए। क्योंकि भगवान श्री हरि विष्णु समस्त प्राणियों की भावना से पूर्णतः अवगत रहते हैं और उसके अनुसार ही फल प्रदान करते हैं।

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एकादशी व्रत भंग होने पर यह काम जरूर करें

एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यह व्रत परम पवित्र और पुण्यफलदायी है। लेकिन किसी कारणवश व्रत भंग हो जाय यानी खंडित हो जाय तो विद्वानों का मानना है कि व्रत को बीच में न छोड़ें, बल्कि भगवान की उपासना करते हुए क्षमा-याचना करें। साथ ही अपनी भूल का प्रायश्चित्त करते हुए भविष्य में उस भूल की पुनरावृति न करने का संकल्प लें। साथ ही प्रायश्चित के लिए इन नियमों का पालन करें।

ऐसे करें व्रत टूटने का प्रायश्चित

  1. सर्वप्रथम फिर से सवस्त्र स्नान करें।

2. भगवान विष्णु की मूर्ति का दुग्ध, दही, मधु और शक्कर से युक्त पंचामृत से अभिषेक करें।

3. श्री हरि भगवान विष्णु की षोडशोपचार पूजा करें।

4. प्रभु से क्षमा-याचना करते हुए नीचे लिखे मंत्र का जाप करें

मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।

यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्तु मे॥

ॐ श्री विष्णवे नमः। क्षमा याचनाम् समर्पयामि॥

5. गौ, ब्राह्मण और कन्याओं को भोजन कराएं।

6. इसके अलावा व्रत भंग होने पर भगवान विष्णु के द्वादशाक्षर मन्त्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का यथाशक्ति तुलसी की माला से जप करें। कम से कम 11 माला अवश्य करें। इसके बाद आप एक माला का हवन भी कर सकते हैं।

7. भगवान विष्णु के स्तोत्रों का भक्तिपूर्वक पाठ करें।

8. भगवान विष्णु के मन्दिर में पुजारी जी को पीले वस्त्र, फल, मिष्ठान्न, धर्मग्रन्थ, चने की दाल, हल्दी, केसर आदि वस्तु दान करें।

9. यदि आपसे भूलवश से एकादशी का व्रत छूट जाता है तो आप प्रायश्चित के साथ ही निर्जला एकादशी का भी संकल्प ले सकते हैं। जिसे निर्जला अर्थात बिना जल और अन्न के रखने का निर्देश है।

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