धर्म-कर्म

Ravana Dreams: रावण के 4 अधूरे सपने, जिनको पूरा करने की थी चाहत

Ravana Dreams: रावण के ये चार सपने उसकी महत्वाकांक्षा को दर्शाते थे। यही कारण था कि वह इनको कभी पूरा नहीं कर पाया।

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Dec 24, 2024
Ravana Dreams

Ravana Dreams: लंकापति रावण से जुड़ी हुई अनेक रोचक कहानियां प्रचलित हैं। क्योंकि रावण केवल राक्षस ही नहीं बल्कि वह चारों वेदों का ज्ञाता भी था। साथ ही वह भगवान शिव के अन्यय भक्तों में से एक था। रावण अपने पराक्रम के लिए भी जाना जाता है। उसने अपनी शक्ति के बल पर कैलाश पर्वत को उठा लिया था। लेकिन क्या आपको पता है कि रावण के कुछ सपने थे, जो उसकी मृत्यु के बाद आजतक अधूरे रह गए। आओ जानते हैं रावण के रहस्य सपनों के बारे में।

धार्मिक मान्यता है कि रावण साधारण मानव नहीं था। लेकिन उसी महत्वाकांक्षाओं ने उसे असाधारण बना दिया था। उसने अपने जीते जी बहुत कुछ हासिल किया। वह प्रकांड पंडित भी कहलाया। जैसा कि वह सोने की नगर लंका का राजा था। परंतु वह इससे भी संतुष्ठ नहीं था। रावण के चार सपने ऐसे थे जिनको वह पूरा करना चाहता था।

स्वर्ण में सुगंध पैदा करना (to smell gold)

लंकापति रावण का पहला सपना था कि वह सोने में सुगंध पैदा करे। क्योंकि उसकी पूरी लंका नगरी स्वर्ण से बनी हुई थी। लंका हर चीज से सुसज्जित थी। जिसमें हर प्रकार का ऐशोआराम और सुख था। मान्यता है कि लंका की चमक हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती थी। लेकिन उसमें सुगंध नहीं थी, जिसे रावण पैदा करना चाहता था। लेकिन मृत्यु के बाद यह सपना अधूरा रह गया।

समुद्र के खारे पानी को मीठा करना (sweetening sea water)

राक्षस राज रावण का दूसरा सपना था कि वह समुद्र के खारे पानी को मीठा करे। क्योंकि रावण की लंका चारों ओर से समुद्र से घिरी हुई है। इसके साथ ही मान्यता है कि वह खून के रंग को भी बदलना चाहता था कि खून का रंग लाल न हो।

स्वर्ग तक सीढ़ी (staircase to heaven)

रावण चाहता था कि लंका से स्वर्ग लोक तक सीढ़ी बनाए। क्योंकि उसकी मानसिकता थी कि किसी भी व्यक्ति को मरना न पड़े। जीवित ही स्वर्ग तक जाए। हालांकि, मान्यता है कि रावण ने स्वर्ग तक सीढ़ी बनाने का प्रयास भी किया था। लेकिन वह बीच में ही सो गया था, तो इस वजह से वह इस कार्य को करने में असफल हो गया।

पिता के सामने पुत्र की मृत्यु न हो (The son should not die in front of his father)

रावण का चाहता था कि कभी भी किसी पिता का सामने कोई पुत्र न मरे। हालांकि इस सपने को भी वह कभी पूरा नहीं कर पाया। रावण का मानना था कि पिता को सामने दुनिया का सबसे बड़ा संकट उस वक्त आता है, जब एक पिता अपनी आंखों के सामने अपने ही पुत्र की मृत्यु देखता है।

डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

Published on:
24 Dec 2024 10:30 am
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