धौलपुर

तपती दोपहरी में मनरेगा काम, महिला श्रमिक पानी को परेशान

बाड़ी कृषि उपज मंडी में चल रहा मनरेगा कार्य स्थल पर महिला मजदूर अव्यवस्थाओं से जूझ रही हैं। महिलाओं के पास पीने तक का पानी उपलब्ध नहीं है। उनके मानदेय में भी अंतर देखने को मिला। जिसके बारे में महिला श्रमिकों को कोई भी जानकारी नहीं

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नगर पालिका ने मनरेगा कार्यस्थल पर नहीं कराया पानी का इंतजाम

महिला श्रमिकों के मानदेय में भी अंतर, मेडिकल तक भी नहीं

dholpur, बाड़ी कृषि उपज मंडी में चल रहा मनरेगा कार्य स्थल पर महिला मजदूर अव्यवस्थाओं से जूझ रही हैं। महिलाओं के पास पीने तक का पानी उपलब्ध नहीं है। उनके मानदेय में भी अंतर देखने को मिला। जिसके बारे में महिला श्रमिकों को कोई भी जानकारी नहीं। साथ ही कार्य स्थल पर नगर पालिका का कोई भी अधिकारी उन महिलाओं के साथ नहीं दिखा।

राज सरकार महिला मनरेगा श्रमिकों की महिलाओं के लिए मौके पर छाया, पानी व मेडिकल उपलब्ध कराने के आदेश दिए हुए हैं, लेकिन बाड़ी नगर पालिका ने नरेगा श्रमिकों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं की है। शिकायत मिलने पर जब पत्रिका संवाददाता ने हकीकत जानी तो उक्त स्थल पर पीने तक का पानी नहीं मिला। मनरेगा महिला श्रमिकों ने बताया कि नगर पालिका केंपस में पुताई तो करवा ली गई है, लेकिन भुगतान अभी तक नहीं किया गया। ऐसे में हमारे परिवार पर आर्थिक संकट पैदा हो गया है। महिलाओं ने कहा कि तीन-तीन मस्ट्रोलो का हमसे कार्य करा लिया गया जबकि 1 का भुगतान किया और 2 मस्ट्रोलो ंका भुगतान अभी तक नहीं हुआ है।

महिला श्रमिकों के मानदेय में अंतर

दूसरी ओर तमाम महिला श्रमिकों से जब उनके मानदेय को लेकर सवाल किया गया तो सभी महिलाओं के मानदेय में अंतर देखने को मिला। जहां एक महिला श्रमिक ने बताया कि 15 दिन के काम का उन्हें 1500 रुपए मिल रहा है तो दूसरी महिला श्रमिक ने 1800 बताए साथ ही ऐसी महिला श्रमिक भी मिलीं जिसे मानदेय के रूप में 2400 रुपए प्राप्त हुए हैं। मामले में पूर्व पार्षद हरी पहाडिय़ा ने जिला कलक्टर से आग्रह कर कहा है की कड़ी धूप में महिलाएं कठोर मेहनत कर रही हैं ऐसे में उनके मानदेय का भी सरकार को ध्यान रखना चाहिए जितनी भी महिलाएं ग्राउंड पर काम कर रही हैं उनका पूरा मानदेय प्राप्त हो।

पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। जिसके चलते हमें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आसपास के लोगों से पीने के पानी की जुगाड़ करना होता है मुश्किल।

- अनीता, महिला मनरेगा श्रमिक

मानदेय के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है, हम अपना काम कर चले जाते हैं और 15 दिन बाद हमारे खातों में नरेगा मजदूरी के रुपए आते हैं जो की अलग-अलग महिलाओं के खाते में अलग-अलग राशि के रूप में होते हैं।

- कुसुमा, महिला मनरेगा श्रमिक

नरेगा साइट जिस पर हम काम कर रहे हैं वहां की जमीन बेहद कठोर है, ऐसे में गढ्डा खोदने में हमें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन को हमें किसी अन्य स्थान पर काम देना चाहिए।

- भूरो देवी, महिला मनरेगा श्रमिक

हमारी हाजिरी को लेकर भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है, शायद यही कारण है कि हमें मानदेय में अंतर देखने को मिलता है।नेहा, महिला मनरेगा श्रमिक

Published on:
12 Jun 2025 06:29 pm
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