कब्रिस्तान भूमि पर पिछले पचास साल से विवाद की स्थिति उत्पन्न होती रही है। हर बार कोई न कोई मामला उठता रहा। खास बात ये है कि एक और इस पुराने कब्रिस्तान की चारदीवारी नगरपालिका बनने से पूर्व ग्राम पंचायत तिमासिया की ओर से निर्माण कराया गया था। लेकिन नगर पालिका प्रशासन की अनदेखी के चलते बिना किसी जांच पड़ताल के भवन निर्माण की स्वीकृति जारी कर दी।
- पालिका की कार्यशैली संदेह के घेरे में, प्रकरण को लेकर गिर सकती है गाज
- बसेड़ी में कब्रिस्तान की चारदीवारी को तोडऩे का मामला
dholpur, बसेड़ी. यूं तो कस्बे के बीचों-कोली अड्डा के समीप वेश कीमती कब्रिस्तान भूमि पर पिछले पचास साल से विवाद की स्थिति उत्पन्न होती रही है। हर बार कोई न कोई मामला उठता रहा। खास बात ये है कि एक और इस पुराने कब्रिस्तान की चारदीवारी नगरपालिका बनने से पूर्व ग्राम पंचायत तिमासिया की ओर से निर्माण कराया गया था। लेकिन नगर पालिका प्रशासन की अनदेखी के चलते बिना किसी जांच पड़ताल के भवन निर्माण की स्वीकृति जारी कर दी। जिसके चलते बुधवार को कब्रिस्तान भूमि को लेकर दो पक्षों में विवाद हो गया। धटना में एक महिला बुरी तरह घायल हो गई। महिला की हालत अभी भी गंभीर बताई जा रही है। वहीं, दोनों पक्षों की ओर से मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 में कब्रिस्तान पर हुए विवाद के चलते उपखंड न्यायालय में मुस्लिम पक्ष तथा दूसरा पक्ष दोनों पक्षों क बीच समझौता हुआ था। जिसमें तय हुआ कि भविष्य में मुस्लिम समाज के लोग इस कब्रिस्तान में कोई भी शव आगे से नहीं दफनाएंगे। गंदा पानी को कब्रों तक नहीं पहुंचे इसके लिए उसकी चारदीवारी बनाए जाने के लिए निर्देश जारी किए गए। बाद में ग्राम पंचायत तिमासिया की ओर से 3 लाख की राशि स्वीकृत कर वर्ष 2020 में कब्रिस्तान की चार दीवारी का निर्माण करा दिया। मुस्लिम समाज के लोग अपने पूर्वजों की कब्रों पर यहां आते हैं।
पालिका प्रशासन की भूमिका संदेह घेरे में
विशेष बात ये है कि नगरपालिका स्थापना के बाद फिर मामला दोबारा से गर्मा गया। 22 मार्च को नगर पालिका की ओर से बबलू कोली निवासी कोली निवासी अड्डा को भवन निर्माण की स्वीकृति दे दी। जिसके चलते एक पक्ष की ओर से पंचायत की ओर से बनाई गई बाउंड्री को तोड़ दिया। जब मुस्लिम समाज के लोग पहुंचे और उन्होंने निर्माण करने से मना किया। दोनों पक्षों के लोगों आमने-सामने हो गए जिनमें झगड़ा हो गया। इस दौरान एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई। वही एसपी सुमित मेहरडा बसेड़ी पहुंचे और पूरे मामले की जांच पड़ताल की।
बिना लेआउट प्लान देखे कैसे दी स्वीकृति, फिर निरस्त
कब्रिस्तान की भूमि को लेकर हुए विवाद पर अब नगर पालिका प्रशासन संदेह के दायरे में आ गया है। एक व्यक्ति को कुछ ही दिनों में कैसे भूमि की स्वीकृति दे दी। सूत्रों के अनुसार पालिका स्थापना के पास से अभी तक शहरी क्षेत्र में केवल एक ही स्वीकृति पूर्व में जारी हुई थी। पालिका ने स्वीकृति देने से पहले जमीन का लेआउट प्लान का मुआयना क्यूं नहीं किया। संबंधित एईएन व जेईएन ने मौके की रिपोर्ट पालिका प्रशासन को दी तो उसमें क्या उल्लेख किया गया। फिलहाल पालिका की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। विवाद के बाद अचानक पालिका प्रशासन ने स्वीकृति निरस्त क्यूं कर दी। उधर, उक्त प्रकरण को लेकर हुए विवाद के बाद अब मामले में जांच होने के संकेत मिल रहे हैं।
पुलिस ने संभाली स्थिति, दूसरे विभाग देखते रहे
पुलिस प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया और तुरंत थाना प्रभारी बृजेश मीणा मय जाब्ते पहुंचे और दोनों पक्षों को समझाइश की। वहीं, दोनों पक्षों के लोगों को थाने ले गए। जहां पर मामले को जाना। उधर, सूचना पर पुलिस अधीक्षक सुमित मेहरड़ा भी पहुंच गए और घटना की जानकारी ली। थाना प्रभारी मीणा ने बताया कि दोनों पक्षों की ओर से पुलिस ने मामला दर्ज कर रखा है। तथ्यों की जांच पड़ताल की जा रही हैं।
कोली अड्डा के पास बबलू कोली को भवन निर्माण संबंधी स्वीकृति दी गई थी। बाद में पता चला कि वहां पर मौजूद कब्रिस्तान की चारदीवारी पूर्व में ग्राम पंचायत की ओर से बनाई गई है। जानकारी होने पर स्वीकृति को निरस्त कर दिया है।
- दारा सिंह, कार्यवाहक अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका बसेड़ी