High Blood Pressure and Diabetes : तेजी से बदलती जीवनशैली और खानपान की आदतों में आए बदलाव के चलते आजकल कई स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से उभर रही हैं। इनमें हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का प्रकोप सबसे ज्यादा है, जो हृदय रोगों का मुख्य कारण बनता जा रहा है। जिन लोगों को ये दोनों समस्याएं होती हैं, उनमें हार्ट अटैक (Heart attack) का खतरा और भी बढ़ जाता है।
High Blood Pressure and Diabetes : आधुनिक जीवनशैली और खानपान की बदलती आदतें आज के समय में अनेक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे रही हैं। विशेषकर हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) और डायबिटीज (Diabetes) जैसी बीमारियों का अनुपात तेजी से बढ़ रहा है। यह दोनों ही समस्याएं हृदय पर गंभीर प्रभाव डालती हैं और हार्ट फेलियर (Heart Failure) जैसी जटिल बीमारियों का प्रमुख कारण बनती हैं।
हार्ट फेलियर (Heart Failure) का सीधा अर्थ यह नहीं है कि हृदय पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है, बल्कि इसका मतलब यह है कि हृदय की मांसपेशी इतनी कमजोर हो जाती है कि वह शरीर की आवश्यकताओं के अनुसार पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पाती। यह एक क्लिनिकल सिंड्रोम है जिसमें शरीर के विभिन्न अंगों में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है, जिससे शरीर के मेटाबॉलिक (उपापचयी) कार्य सही ढंग से नहीं हो पाते।
मेडिकल ट्रस्ट हॉस्पिटल कोच्चि के कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सागी वी कुरुट्टुकुलम के अनुसार, हार्ट फेलियर (Heart Failure) के प्राथमिक कारणों में इस्केमिक हार्ट डिजीज (हृदय के धमनियों में रुकावट), हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) और डायबिटीज (Diabetes) शामिल हैं। अध्ययन बताते हैं कि लगभग 75% हार्ट फेलियर के मरीज पहले से ही उच्च रक्तचाप से ग्रस्त होते हैं। सामान्य ब्लड प्रेशर वाले लोगों की तुलना में उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) से पीड़ित लोगों में हार्ट फेलियर का खतरा दोगुना हो जाता है।
हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) और डायबिटीज (Diabetes) के अलावा, कार्डियोमायोपैथी (हृदय की मांसपेशियों का विकार), टॉक्सिन्स (जैसे अल्कोहल और सायटोटॉक्सिक दवाएं), वाल्वुलर डिजीज (हृदय के वाल्व की समस्या) और एरिथमिया (अनियमित धड़कन) भी हार्ट फेलियर के कारणों में आते हैं। इन स्थितियों में हृदय की क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
हार्ट फेलियर (Heart Failure) के लक्षण सामान्यतः निम्नलिखित होते हैं:
सांस लेने में कठिनाई
खांसी और घरघराहट
अत्यधिक थकान
मतली और भूख में कमी
दिल की धड़कनों का तेज हो जाना
इन लक्षणों को नजरअंदाज करना गंभीर समस्याओं का संकेत हो सकता है, इसलिए समय रहते चिकित्सीय परामर्श लेना जरूरी है।
हार्ट फेलियर (Heart Failure) से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय अपनाए जा सकते हैं। डॉ. सागी वी कुरुट्टुकुलम के अनुसार, स्वस्थ हृदय के लिए निम्नलिखित आदतें अपनानी चाहिए:
नमक का सेवन कम करें: प्रतिदिन 5 ग्राम से कम नमक का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
तरल पदार्थ की सीमित मात्रा लें: रोजाना 1.5 से 2 लीटर तक तरल पदार्थ का सेवन करें।
वजन पर नियंत्रण रखें: वजन घटाने और शारीरिक गतिविधि को प्राथमिकता दें।
नियमित व्यायाम करें: सप्ताह में 3-4 दिन, कम से कम 20 मिनट का व्यायाम करें।
धूम्रपान और शराब से बचें: धूम्रपान छोड़ें और शराब का सेवन सीमित करें।
तनाव को कम करें: मानसिक स्वास्थ्य को भी महत्वपूर्ण मानें और तनाव को नियंत्रित करने के उपाय अपनाएं।
डॉ. कुरुट्टुकुलम का कहना है कि इन उपायों को जीवनशैली का हिस्सा बनाकर न केवल जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है, बल्कि हार्ट फेलियर (Heart Failure) जैसी गंभीर बीमारियों के जोखिम को भी कम किया जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से न सिर्फ हृदय स्वस्थ रहेगा, बल्कि समग्र स्वास्थ्य भी बेहतर होगा।
--आईएएनएस