शिक्षा

इस राज्य के स्कूलों की चौंकाने वाली तस्वीर: न पीने का पानी, न शौचालय और 28 हजार शिक्षक पद खाली

Assam Government School Crisis: असम के सरकारी स्कूल गंभीर संकट से जूझ रहे हैं। स्कूलों में पीने का पानी और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी, साथ ही लगभग 28,000 शिक्षक पद खाली हैं। जानिए बदहाल शिक्षा व्यवस्था की असली कहानी और सरकार की मौजूदा कोशिशें।

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Nov 27, 2025
Assam Government School Crisis (Image: Gemini)

Assam Government School Crisis: असम के सरकारी स्कूलों की हालत को लेकर एक बेहद चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। सोचिए, एक ऐसा स्कूल जहां बच्चे पढ़ाई करने तो जाते हैं, लेकिन वहां न तो पीने के लिए साफ पानी है और न ही इस्तेमाल करने के लिए शौचालय है। गुरुवार को असम विधानसभा में जब शिक्षा मंत्री रनोज पेगु ने आकड़े रखे, तो स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगा।

सरकार ने खुद माना है कि राज्य के 'चार' (नदी के बीच वाले इलाके) और ग्रामीण क्षेत्रों के करीब 1,400 स्कूल ऐसे हैं जो बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। मुद्दा सिर्फ इमारतों का नहीं, बल्कि शिक्षकों की भारी कमी का भी है। प्राइमरी से लेकर अपर प्राइमरी तक, करीब 28,000 शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं।

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प्यास बुझाएं या पढ़ाई करें?

विधानसभा में कांग्रेस विधायक वाजेद अली चौधरी के सवाल का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री ने जो ब्यौरा दिया, वह परेशान करने वाला है। उन्होंने बताया कि कुल 1,391 लोअर प्राइमरी (LP) और मिडिल इंग्लिश (ME) स्कूलों में या तो पीने का पानी नहीं है या फिर टॉयलेट्स नहीं हैं।

जरा गहराई से देखें तो पता चलता है कि 347 स्कूल ऐसे हैं जहां पानी का कोई इंतजाम ही नहीं है। वहीं, 809 स्कूल बिना शौचालय के चल रहे हैं। मुसीबत यहीं खत्म नहीं होती। जिन स्कूलों में ये सुविधाएं थीं भी, वहां भी हालत खस्ता है। 134 स्कूलों में पानी की टंकियां या नल खराब हैं और 101 स्कूलों के शौचालय इस्तेमाल करने लायक नहीं बचे हैं। ये वो इलाके हैं जहां ज्यादातर गरीब और पिछड़े तबके के बच्चे पढ़ने आते हैं। मंत्री ने सदन को भरोसा दिया है कि संबंधित विभाग इन खराब पड़ी सुविधाओं को ठीक करने में जुटे हैं।

पढ़ाने वाला कोई नहीं…

स्कूल की इमारत अगर ठीक भी हो, तो बिना गुरुजी के पढ़ाई कैसे होगी? असम के स्कूलों में शिक्षकों की कमी एक बड़ा संकट बन गई है। आंकड़ों के मुताबिक, 'चार' और ग्रामीण इलाकों में 27,936 शिक्षकों के पद खाली हैं।

हालत यह है कि अकेले मिडिल स्कूलों में ही 12,382 शिक्षकों की कुर्सियां खाली हैं। छोटे बच्चों यानी लोअर प्राइमरी में 8,251 और अपर प्राइमरी में 7,303 शिक्षकों की कमी है। जाहिर है, जब इतने शिक्षक कम होंगे, तो जो मुट्ठी भर टीचर बचे हैं, उन पर काम का बोझ कितना ज्यादा होगा और बच्चों की पढ़ाई का क्या हाल हो रहा होगा।

भर्ती जारी, लेकिन अंतर बहुत बड़ा

सरकार ने बताया कि करीब 4,500 एलपी शिक्षक पदों की भर्ती की प्रक्रिया चल रही है और डाक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन जारी है। इसके अलावा माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने 9,717 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली है। हालांकि, जितनी बड़ी संख्या में पद खाली हैं, उसके मुकाबले ये भर्तियां बहुत कम लगती हैं। चर और ग्रामीण इलाकों में हालात और भी चुनौतीपूर्ण हैं जहां बच्चों को पहले से ही स्कूल तक पहुंचने में तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

फिर भी, जिस पैमाने पर कमियां हैं चाहे वह पानी-टॉयलेट जैसी बुनियादी जरूरतें हों या फिर हजारों खाली पड़े पद उसे देखते हुए यह साफ है कि असम की शिक्षा व्यवस्था के सामने चुनौती अभी बहुत बड़ी है। खासकर उन बच्चों के लिए, जिनके लिए शिक्षा ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है।

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