Engineers Day 2024 : सर विश्वेश्वरैया शुरूआती पढ़ाई अपने गांव से ही हुई। स्कूली पढ़ाई के बाद उन्होंने बैंगलोर से बीए की डिग्री हासिल की। बीए करने के बाद इंजीनियरिंग में रूचि होने के कारण उन्होंने पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला ले लिया। इंजीनियरिंग की पढ़ाई आसान नहीं थी, लेकिन...
Engineers Day 2024 : देश में हर साल लाखों की संख्या में छात्र इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेते हैं और 4 साल साल बाद अपनी डिग्री पूरी कर के इंजीनियर बन जाते हैं। लेकिन पहले किसी के लिए इंजीनियर बनना इतना आसान नहीं था। इस बात की गवाही देश के पहले इंजीनियर कहे जाने वाले भारत रत्न एम. विश्वेश्वरैया की कहानी देती है। एम. विश्वेश्वरैया का पूरा नाम मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया था। 15 सितंबर को पूरे देश में इंजीनियर्स डे (Engineers Day 2024) मनाया जाता है। 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक के मैसूर जिले के एक छोटे से गांव चिक्काबल्लापुर में एम. विश्वेश्वरैया का जन्म हुआ था। उनकी इंजीनियरिंग कौशल असाधारण थी। जिसका सम्मान करते हुए भारत सरकार ने साल 1955 में एम. विश्वेश्वरैया को भारत रत्न से नवाजा था।
सर विश्वेश्वरैया शुरूआती पढ़ाई अपने गांव से ही हुई। स्कूली पढ़ाई के बाद उन्होंने बैंगलोर से बीए की डिग्री हासिल की। बीए करने के बाद इंजीनियरिंग में रूचि होने के कारण उन्होंने पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला ले लिया। इंजीनियरिंग की पढ़ाई आसान नहीं थी, लेकिन मेहनत और लगन से उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। अपनी इंजीनियरिंग के दौरान उन्होंने कई तरह की व्यावहारिक परियोजनाओं में भी भाग लिया। जिसमें उन्होंने उम्मीद से बढ़कर काम किया।
अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद एम.विश्वेश्वरैया ने बॉम्बे में पीडब्ल्यूडी विभाग में नौकरी शुरू कर दी। इस विभाग में रहते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं में भाग लिया और उम्मीद से बेहतर काम करके अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
एम. विश्वेश्वरैया ने कई ऐसे काम किए जो देश हित में थे। एम. विश्वेश्वरैया ने सिंधु नदी के अलावा मूसा और इसा नदियों के पानी को भी बांधने के लिए कई योजनाएं बनाईं। जिस कारण से सिंचाई की सुविधा बढ़ी और कृषि उत्पादन में वृद्धि देखि गई। एम. विश्वेश्वरैया के इन्हीं अद्भुत कार्य के लिए उन्हें कर्नाटक का भागीरथ भी कहा जाता है। उनके देश के के लिए असाधारण योगदान के लिए 1955 में विश्वेश्वरैया को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उस समय उनके द्वारा किए गए कई प्रयोगों का इस्तेमाल आज भी इंजीनियरिंग के क्षेत्र में किया जाता है। एम. विश्वेश्वरैया का निधन 14 अप्रैल, 1962 को हुआ था। लेकिन अपने जीवन में उन्होंने कई ऐसे काम किए जिसे आज भी याद किया जाता है।