IIT Bombay: पिछले सेशन तक के नियम की बात करें तो पहले केवल उन्हीं उम्मीदवारों को योग्य माना जाता था जिन्होंने चार साल की ग्रेजुएशन डिग्री या मास्टर डिग्री हासिल की हो।
IIT Bombay: MBA करने के इक्छुकों के लिए IIT Bombay बढ़िया नियम इस सेशन से लागू करने जा रही है। अब सिर्फ इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले ही नहीं, बल्कि अन्य विषयों से ग्रेजुएट किए हुए छात्र भी IIT Bombay के Shailesh J. Mehta School of Management (SJMSoM) के एमबीए कोर्स में दाखिला ले सकेंगे। संस्थान ने शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए एमबीए कोर्स में एडमिशन के पात्रता नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इस बदलाव का उद्देश्य कक्षा में विभिन्न शैक्षणिक बैकग्राउंड और लैंगिक विविधता को बढ़ावा देना है। अब तीन साल की किसी भी विषय की ग्रेजुएशन डिग्री रखने वाले छात्र, यदि उन्होंने कम से कम 60% अंक (या सीपीआई 6.5) हासिल किए हों, तो वे भी एमबीए प्रोग्राम के लिए आवेदन कर सकते हैं। एससी, एसटी और पीडब्ल्यूडी वर्ग के लिए यह सीमा 55% अंक या (CPI 6 Out of 10) है।
पिछले सेशन तक के नियम की बात करें तो पहले केवल उन्हीं उम्मीदवारों को योग्य माना जाता था जिन्होंने चार साल की ग्रेजुएशन डिग्री या मास्टर डिग्री हासिल की हो। इसकी वजह से ज्यादातर इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को ही एमबीए में प्रवेश मिल पाता था, क्योंकि इंजीनियरिंग डिग्री ही चार साल की होती है।
IIT Bombay ने कहा है कि नए नियमों के बाद एमबीए बैच में गैर-इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से भी बड़ी संख्या में छात्र शामिल होंगे। इससे क्लास रूम में अलग-अलग दृष्टिकोण और अनुभव आएंगे, जो पढ़ाई और केस स्टडी जैसी गतिविधियों को और प्रभावी बनाएंगे। IIT Bombay अब उन IIT और IIM में शामिल हो गया है, जो साधारण ग्रेजुएशन और CAT Score के आधार पर एडमिशन लेता है।
किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से तीन साल की ग्रेजुएशन डिग्री, जिसमें कम से कम 60% अंक या CPI 6.5 होना जरूरी है। आरक्षित वर्गों के लिए यह सीमा 55% या CPI 6 है।
अंतिम वर्ष के छात्र भी आवेदन कर सकते हैं, बशर्ते उन्होंने अभी तक की परीक्षा में आवश्यक न्यूनतम अंक हासिल किए हों।
सभी उम्मीदवारों के पास वैध Common Admission Test (CAT) स्कोर होना अनिवार्य है।
IIT Bombay का इस बदलाव पर कहना है कि मैनेजमेंट शिक्षा अलग-अलग तरह के विषयों को मिलाकर होती है और इसके लिए केवल टेक्निकल ज्ञान ही नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक, और व्यवहारिक दृष्टिकोण भी जरूरी होते हैं। विभिन्न विषयों से आए छात्रों के विचार क्लास रूम में विविधता लाते हैं और निर्णय लेने की क्षमता को और बेहतर बनाते हैं।