JNU Plans Shivaji Centre: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में अब छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा सैन्य इतिहास के बारे में पढ़ाया जाएगा।
JNU Plans Shivaji Centre: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में अब छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा सैन्य इतिहास के बारे में पढ़ाया जाएगा। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर एक ‘उत्कृष्टता केंद्र’ शुरू करने की योजना बना रहा है, जिसके तहत अखंड भारत की अवधारणा और हिंदवी स्वराज के लिए शिवाजी के संघर्ष के बारे में बताया जाएगा।
जेएनयू स्थित स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के तहत इस कोर्स की शुरुआत होगी। छत्रपति शिवाजी महाराज सेंटर फॉर सिक्योरिटी एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज के नाम से शुरू किए जाने वाले इस कोर्स को महाराष्ट्र सरकार द्वारा समर्थित किया जाएगा। इस कोर्स में भारतीय रणनीतिक विचार, मराठा सैन्य इतिहास, शिवाजी की नौसेना रणनीति और गुरिल्ला युद्ध सहित अन्य विषयों को पढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। जेएनयू की ओर से छह पाठ्यक्रम पढ़ाए जाने का प्रस्ताव है जिसमें मराठा ग्रैंड रणनीति, गुरिल्ला कूटनीति, शिवाजी महाराज और उसके बाद की राज्य कौशल और राज्य कला आदि शामिल हैं। इस कोर्स के लिए पहले पांच वर्षों में करीब 15- 35 करोड़ रुपये की लागत लग सकती है (यह एक अनुमानित खर्च है)।
प्रस्ताव के अनुसार, केंद्र में संकाय और कर्मचारियों के लिए 14 पद होंगे, जिनमें एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट प्रोफेसर और चार सहायक प्रोफेसर शामिल होंगे। प्रस्तावित बुनियादी ढांचे में एक प्रशासनिक ब्लॉक, आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर लैब, एक पुस्तकालय और रीडिंग हॉल शामिल होंगे। वहीं एक ‘अत्याधुनिक संग्रहालय’ भी विकसित किया जाएगा।
मिली जानकारी के अनुसार, इस कोर्स (JNU Courses) को शैक्षणिक सत्र 2025 (जुलाई) तक शुरू किया जा सकता है। इस कोर्स को तीनों ही रूप, डिप्लोमा, स्नातक और स्नातकोत्तर में पेश किया जाएगा। जेएनयू में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के डीन प्रोफेसर अमिताभ मट्टू ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा, “केंद्र शुरू करने का विचार कुलपति और कुछ संकाय सदस्यों से आया था… महाराष्ट्र सरकार भी छत्रपति की सोच का जश्न मनाना चाहती थी।” उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज और उनकी रणनीतियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है।
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जेएनयू के प्रोफेसर ने कहा कि इंटरनेशल स्टडीज के तहत हमने रूसी और चीनी विचारकों के बारे में भी पढ़ाया है। वहीं आगे हम कौटिल्य और चाणक्य नीति के बारे में भी छात्रों को पढ़ाएंगे। ऐसे में शिवाजी की रणनीति को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसलिए विश्वविद्यालय ने शिवाजी महाराज और उनकी सर्वमान्य रणनीतिक सोच को भी जोड़ना का फैसला किया है।
आज के समय में युवाओं को अखंड भारत की अवधारणा के बारे में बताया जाना महत्वपूर्ण है। साथ ही इससे जुड़े एकता और लचीलापन जैसे कॉन्सेप्ट पर प्रकाश डाला जाएगा। छात्रों को छत्रपति शिवाजी महाराज युग के ऐतिहासिक पाठों से सीखने का अद्भुत अवसर मिलेगा। हिंदवी स्वराज या स्व-शासन के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) का संघर्ष इस बात का एक प्रमुख उदाहरण है कि भारत अपनी रणनीतिक संस्कृति को कैसे आकार दे सकता है। राष्ट्र निर्माण के प्रति उनका दृष्टिकोण दूरगामी सोच वाला था और निष्पक्षता, न्याय और संप्रभुता पर आधारित था। शिवाजी महाराज के योगदान का अध्ययन करके, भारत मूल्यवान नेतृत्व, कूटनीति और रणनीतिक सबक सीख सकता है