चौधरी चरण सिंह की शुरआती पढ़ाई-लिखाई मेरठ जिले से ही हुई थी। पढ़ाई पूरी होने के बाद चौधरी चरण सिंह सक्रिय रूप से राजनीति में एक्टिव हो गए। भारत की आजादी के लिए वह कई बार जेल भी गए थे।
Chaudhary Charan Singh: देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह(Chaudhary Charan Singh) का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हुआ था। उन्हें किसानों का मसीहा कहा जाता था। चौधरी चरण सिंह खुद किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता मीर सिंह एक किसान थे और माता नेत्रा कौर गृहिणी थीं। चरण सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हुआ था। उनकी परवरिश बहुत ही कम साधन और एक गरीब किसान परिवार में हुई। लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई साधारण स्कूल से भी बहुत अच्छे तरीके से की। आइये जानते हैं किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह तक पढ़ाई की थी और उनके पास कौन-कौन सी डिग्रियां थीं।
चौधरी चरण सिंह की शुरआती पढ़ाई-लिखाई मेरठ जिले से ही हुई थी। मेरठ के जानी खुर्द गांव से ही उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की। स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने आगरा कॉलेज में एडमिशन ले लिया। यहां से उन्होंने पहले साल 1923 में बीएससी और फिर 1925 में मास्टर की डिग्री हासिल की। एमए में उनका विषय हिस्ट्री था। एमए करने के बाद उन्होंने लॉ की भी पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी होने के बाद चौधरी चरण सिंह सक्रिय रूप से राजनीति में एक्टिव हो गए। भारत की आजादी के लिए वह कई बार जेल भी गए थे।
चौधरी चरण सिंह उत्तर प्रदेश की छपरौली विधानसभा सीट से 1937 में पहली बार विधायक चुने गए। उसके बाद उन्होंने लगातार 1946, 1952, 1962 और 1967 के चुनावों में भी इसी सीट से जीत दर्ज की। चरण सिंह उत्तर प्रदेश की कई सरकारों में अलग-अलग विभाग के मंत्री रहे। जून 1951 में उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और उन्हें न्याय एवं सूचना विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद 1952 में वे संपूर्णानंद सरकार में राजस्व और कृषि मंत्री बने। हालांकि, 1959 में उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उस समय उनके पास राजस्व और परिवहन विभाग का प्रभार था। 1960 में उन्हें गृह मंत्रालय की भी जिम्मेवारी मिली।
साल 1967 में उन्होंने पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन उनका यह कार्यकाल फरवरी 1968 में समाप्त हो गया। कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी कलह के बाद फरवरी 1970 में वे कांग्रेस के समर्थन से दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, लेकिन 2 अक्टूबर 1970 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इसके बाद 28 जुलाई 1979 को कांग्रेस (आई) के समर्थन से उन्होंने देश के पांचवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। हालांकि, इंदिरा गांधी द्वारा समर्थन वापस लिए जाने के चलते 20 अगस्त 1979 को उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा। इस तरह चौधरी चरण सिंह ऐसे प्रधानमंत्री रहे, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान संसद का सामना नहीं किया।