Success Story of Neetu Singh: फेमस इंग्लिश टीचर नीतू सिंह के आज लाखों की संख्या में सब्सक्राइबर हैं। नीतू सिंह झारखंड से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की है।
Success Story of Neetu Singh: शिक्षा के दम पर व्यक्ति दुनिया में हर चीज हासिल कर सकता है। लेकिन शिक्षा हासिल करने के लिए भी कई लोगों को वर्षों संघर्ष करना पड़ता है। कुछ ऐसी ही कहानी है मशहूर इंग्लिश टीचर नीतू सिंह की। पिता के मरने के बाद, समाज के लोगों ने बेटी को गर्ल्स स्कूल भेजने को कहा। लेकिन मां ने बेटी की पढ़ाई में कोई कोताही नहीं की और हर संभव प्रयास किया उन्हें अच्छी शिक्षा देने की।
फेमस इंग्लिश टीचर नीतू सिंह (Famous English Teacher Neetu Singh) के आज लाखों की संख्या में सब्सक्राइबर हैं। नीतू सिंह को सभी प्यार से नीतू मैम बुलाते हैं। नीतू सिंह झारखंड से ताल्लुक रखती हैं। भले ही वे झारखंड की हैं, लेकिन उनका पालन पोषण बिहार में हुआ है। नीतू मैम अध्ययन सामग्री, अभ्यास परीक्षण और लाइव संदेह-समाधान सत्र सहित ढेर सारे संसाधन भी देती हैं। साथ ही उनके पढ़ाने का अंदाज काफी निराला है। यही कारण है कि नीतू सिंह छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की है। LLB की डिग्री हासिल करने के बाद वे कोर्ट जाने लगीं। लेकिन वहां अच्छी कमाई नहीं होने के कारण ट्यूशन पढ़ाने का फैसला लिया।
शुरुआत में ट्यूशन पढ़ाने के लिए नीतू सिंह को बसों में धक्के भी खाने पड़े। लेकिन उन्होंने मेहनत से डर नहीं लगता था। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि जब वे पढ़ाने के लिए गईं तो देखा कि बच्चे के साथ-साथ उनकी मां भी अंग्रेजी सीखना चाहती हैं। बच्चे की मां ने बताया कि जब कभी वह किटी पार्टी में जाती हैं तो उनका पहनावा देखकर सबको लगता है कि मैं अच्छी इंग्लिश बोलती हूं। लेकिन जब कोई बात करता है तो पूरा मूड खराब हो जाता है।
ट्यूशन ठीक चल रहा था लेकिन एक दिन वे अपने सीनियर के साथ मुखर्जी नगर गईं, जहां उन्होंने देखा कि काफी सारे इंस्टीट्यूट हैं। फिर क्या था, उनके दिमाग में इंस्टीट्यूट खोलने का आईडिया आया। लेकिन इंस्टीट्यूट खोलना इतना आसान नहीं था, शुरुआत में नीतू सिंह के बैच में केवल 4 ही बच्चे थे। फिर ये कारवां ऐसे ही बढ़ता चला गया और कुछ सालों में एक समय ऐसा आया कि उन्हें एक सिनेमा हॉल तक लेना पड़ा। क्योंकि वह एक समय पर 3 हजार बच्चों को पढ़ाती थीं। वर्ष 2014 में उन्हें अपना पैरामाउंट कोचिंग सेंटर कुछ कारणों से छोड़ना पड़ा।
इसके बाद उन्होंने केडी कैंपस शुरू किया। केवल 3-4 सालों में ही केडी कैंपस इस मुकाम पर पहुंच गया कि मुखर्जी नगर आने वाले छात्रों की पहली पसंद बन गया। लॉकडाउन के दौरान जब कोचिंग सेंटर बंद हुआ तो उन्होंने केडी लाइव की शुरुआत की। आज उनके यूट्यूब चैनल पर 1.71 मिलियन सब्सक्राइबर हैं। वह यूट्यूब से ही महीने के लाखों रुपये कमाती हैं। टीचर नीतू सिंह कहती हैं कि अंत में जीत उनकी ही होती है जो मेहनत करते रहते हैं।