Success Story: आईएएस कृतिका मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कानपुर की रहने वाली हैं। उनके पिता दिवाकर मिश्रा एक इंटर कॉलेज में शिक्षक हैं। कृतिका ने हिंदी माध्यम से यूपीएससी में सफलता हासिल की थी।
Success Story: आईएएस कृतिका मिश्रा ने हिंदी माध्यम से यूपीएससी क्रैक करके खूब सुर्खियां बटोरी थी। आज भी उनके नाम पर चर्चा होती है। ऐसे छात्र जो हिंदी में सिविल सेवा परीक्षा देना चाहते हैं, उनके लिए कृतिका किसी प्रेरणा से कम नहीं। एक साधारण परिवार से आने वाली कृतिका ने अपने दम पर यूपीएससी सीएसई में दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की है। आइए, जानते हैं उनकी सक्सेस स्टोरी
आईएएस कृतिका मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कानपुर की रहने वाली हैं। उनके पिता दिवाकर मिश्रा एक इंटर कॉलेज में शिक्षक हैं और मां भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में काम करती हैं। उन्होंने इंटर और स्नातक की पढ़ाई आर्ट्स विषय से की है। इन दिनों वे कानपुर विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रही हैं।
कृतिका ने वर्ष 2022 में यूपीएससी की परीक्षा पास (Success Story) की। उन्हें बिहार कैडर से आईएएस बनाया गया। यूपीएससी सीएसई में उन्होंने हिंदी माध्यम से टॉप करके 66वीं रैंक हासिल की। कृतिका ने पहली बार में यूपीएससी की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पास कर ली थी। लेकिन उन्हें इंटरव्यू में सफलता नहीं मिली। वहीं दूसरे प्रयास में उन्होंने लिखित परीक्षा में 824 अंक और इंटरव्यू में 182 अंक हासिल किए। इस तरह कुल 1006 अंक के साथ उन्हें सफलता मिली।
कृतिका ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि हिंदी से यूपीएससी परीक्षा पास करना आसान काम नहीं था। हिंदी माध्यम वाले कैंडिडेट्स के सामने स्टडी मैटेरियल की सबसे बड़ी परेशानी होती है। कई बार अंग्रेजी के मैटेरियल को हिंदी में अनुवाद करना पड़ता है। साथ ही उन्होंने कहा कि हिंदी से यूपीएससी की तैयारी करने वालों के मन में अक्सर यह डर लगा रहता है कि अंग्रेजी में तैयारी ज्यादा अच्छी होती है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। अंग्रेजी वाले अगर GDP लिखते हैं और हिंदी वाले सोचें कि उन्हें सकल घरेलू उत्पाद लिखने में बहुत ज्यादा समय लग जाता है। ऐसा भी कुछ नहीं। निरंतर अभ्यास से हिंदी माध्यम वाले भी निर्धारित समय सीमा में अपना बेस्ट लिख सकते हैं।