Guru Pushya nakshatra significance: पुष्य नक्षत्र को महामुहूर्त माना जाता है, गुरुवार को इसका उदय इसके महत्व को और बढ़ा देता है। इस समय किए हर काम में सफलता मिलती है और आर्थिक गतिविधियों से घर में समृद्धि आती है। आइये जानते हैं गुरु पुष्य योग में कौन से काम करना चाहिए (Shopping muhurt in 2024) ....
Guru Pushya nakshatra significance: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति और स्वामी शनि देव हैं, इसलिए पुष्य नक्षत्र शनि प्रधान है, लेकिन इसकी प्रकृति गुरु जैसी होती है। इसे नक्षत्रों का राजा कहा जाता है, इस नक्षत्र पर शनि और बृहस्पति दोनों की कृपा होती है।
इसके कारण पुष्य नक्षत्र में किए गए काम में सफलता मिलती है, भाग्य साथ देता है। साथ ही इस दिन शुभ चीजों की खरीदारी आदि से घर में सुख समृद्धि बढ़ती है। आइये जानते हैं पुष्य नक्षत्र और गुरु पुष्य योग में कौन से काम करना चाहिए ..
gugru pushy yog Shopping muhurt: ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार पुष्य नक्षत्र अतिशुभ योग है। दीपावली से 7 दिन पहले 24 अक्तूबर को गुरुवार के दिन यह नक्षत्र रहेगा। गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र के उदय से ही इसे गुरु पुष्य नक्षत्र या गुरु पुष्य योग कहा जाता है।
मान्यता है कि इस दिन सोना-चांदी और अचल संपत्ति खरीदने से बहुत लाभ मिलता है। माना जाता है कि, इस नक्षत्र में आप जो भी चीज खरीदते हैं वो बरकत देती है, उससे आपके जीवन में सुख-समृद्धि आती है और पारिवारिक जीवन सुखमय बना रहता है।
डॉ. व्यास के अनुसार 24 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र सुबह 11:45 बजे से शुरू होगा और अगले दिन 25 अक्टूबर को दिन में लगभग 12:31 बजे तक गुरु पुष्य योग रहेगा।
(नोटः दृक पंचांग में गुरु पुष्य योग का समय 24 अक्टूबर को सुबह 6.38 बजे से 25 अक्टूबर 6.38 बजे तक बताया गया है। इसके अलावा कुछ कैलेंडर में इसका समय 06:15 से अगले दिन 25 अक्टूबर को प्रात: 07:40 बजे तक भी बताया गया है।)
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1.पुष्य नक्षत्र खरीदारी के लिए बेहद शुभ माना जाता है। दीपावली के त्योहार के समय लोग घर की साज-सज्जा की चीजें, सोना, चांदी और अन्य सामान खरीदते हैं, ऐसे में पुष्य नक्षत्र में ही इसकी खरीद और भी शुभ फल देने वाली हो सकती है।
2. हिंदी में पुष्य का अर्थ पोषण, ऊर्जा और शक्ति प्रदान करने वाला होता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र में इसे नक्षत्रों का राजा बताया गया है, जबकि ऋग्वेद इसे मंगलकर्ता कहता है। इसी कारण पुष्य नक्षत्र को शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन अपने जीवन के लिए अच्छे काम की शुरुआत करनी चाहिए।
3. गुरु बृहस्पति पुष्य नक्षत्र के देवता और शनि स्वामी या कहें तो दिशा प्रतिनिधि हैं। वहीं बृहस्पति शुभता, ज्ञान और बुद्धिमत्ता के प्रतीक हैं, जबकि शनि स्थायित्व के, इसलिए इन दोनों का प्रभाव पुष्य नक्षत्र को शुभ और चिरस्थायी फल देने वाला बनाता है।
4. माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र पर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो यह संबंधित व्यक्ति की सेहत संबंधी समस्याओं और शारीरिक कष्टों का भी निदान कर देता है।
5. पुष्य नक्षत्र में गोल्ड खरीदने का बड़ा महत्व है। इसके पीछे के कारण के अनुसार सोना शुद्ध, पवित्र और अक्षय धातु है। भाग्य के कारक बृहस्पति की प्रतिनिधि धातु भी है, अत: पुष्य नक्षत्र में सोना खरीदना शुभ और स्थायी रूप से समृद्धि बढ़ाने वाली होती है।
मान्यता है कि पुष्य नक्षत्र की समयावधि में चांदी, बहुमूल्य रत्न, आभूषण, प्रापर्टी आदि खरीदने, पॉलिसी या धन संबंधी योजना में निवेश की गतिविधि पूरे साल लाभ देती है। इस मुहूर्त में खरीदी गई वस्तु अधिक समय तक उपयोगी और अक्षय फल देने वाली होती है। साथ ही इस मुहूर्त में शुभ काम करने से सफलता मिलती है।
6. गुरु पुष्य योग में नई दुकान, नया वाहन, नया घर खरीदने और नये काम की शुरुआत शुभ और सफलता वाला होता है। गुरु पुष्य योग में आपको माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस दिन कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। लक्ष्मी नारायण की कृपा से आपके धन-संपत्ति में बढ़ोतरी होगी।
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।