Lohri 2025 Guide : लोहड़ी उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली आदि राज्यों में उत्साह से मनाया जाता है। इस त्योहार में अग्नि को अन्न अर्पित करते हैं, नाचते गाते हैं। आइये जानते हैं लोहड़ी सेलिब्रेशन के नियम और खासियतें (5 special tradition) ...
Lohri Festival Rules: ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार कृषि संबंधित त्योहार है। इसमें अग्नि देव, सूर्य नारायण और नवान्न की पूजा की जाती है। इसे सर्दी में रबी की फसल की कटाई के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह त्योहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले पौष महीने की आखिरी रात को मनाया जाता है। इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को है, इसलिए लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाएगी। पंजाब में लोहड़ी को तिलोड़ी भी कहा जाता है।
माना जाता है कि मकर संक्रांति से ही मौसम में बदलाव होता है और दिन का उजाला बढ़ने लगता है। इसी के साथ सर्दी का उतार शुरू होता है और बसंत ऋतु की आहट शुरू हो जाती है। इसी समय नई फसल का भी आगमन होता है। इसके कारण प्राचीन काल से ही लोडड़ी पर नवान्न की पूजा की जाती है और खुशियां मनाई जाती है।
ज्योतिषी डॉ. अनीष व्यास के अनुसार लोहड़ी का त्योहार ऊर्जा के सबसे बड़े स्रोत भगवान सूर्य और अग्नि को समर्पित है। लोहड़ी की रात सबसे ठंडी मानी जाती है। इसी कारण मौसम बदलने से पहले पवित्र अग्नि में फसलों का अंश अर्पित कर त्योहार मनाया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से फसल देवताओं तक पहुंचती है।
ये भी पढ़ेंः
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार लोहड़ी त्योहार पर गांवों मोहल्लों के लोग रात के समय एक जगह इकट्ठा होते हैं और होलिका की तरह उपलों, लकड़ी के ढेर से आग जलाते हैं। इसके बाद परिवार और रिश्तेदार पूजा करते हैं। इसे बाद लोहड़ी की परिक्रमा करते हैं और अग्नि देवता से प्रसन्न रहने के लिए प्रार्थना करते हैं।
इसके बाद आग की परिक्रमा कर गेहूं की बालियां, रेवड़ी, मूंगफली, खील, चिक्की, गजक और गुड़ से बनी चीजें अर्पित करते हैं। साथ ही पंजाबी गीत और डांस का आनंद जाता है। भंगड़े के साथ डांस और आग सेंकते हुए खुशियां मनाते हैं। लोहड़ी का लोकगीत गाते हैं। लोहड़ी के शुभ अवसर पर लोग एक-दूसरे को मिठाइयां भेंट करते हैं और शुभकामनाएं देते हैं।
1.ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार पंजाब, हरियाणा और हिमाचल आदि क्षेत्रों में लोहड़ी की कई परंपराएं हैं। इन्हीं में से एक त्योहार पर मूंगफली, रेवड़ी, पॉपकॉर्न खाने और लोगों को प्रसाद में देने की परंपरा है।
2. जलती लोहड़ी में गजक और रेवड़ी को अर्पित करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
3.महिलाएं अपने छोटे बच्चों को गोद में लेकर लोहड़ी की आग को तपाती हैं। माना जाता है इससे बच्चा स्वस्थ रहता है और उसे बुरी नजर नहीं लगती।
4. खास बात यह है की शादी के बाद जिन विवाहिताओं की पहली लोहड़ी है, वो मायके में बुलाई जाती हैं। मायके में ही रहकर लोहड़ी मनाती हैं और बुजुर्गों का आशीर्वाद लेती हैं।
5. लोहड़ी के दिन कुंवारी लड़कियां रंग-बिरंगे नए-नए कपड़े पहनकर घर-घर जाकर लोहड़ी मांगती हैं।
डॉ. अनीष व्यास के अनुसार हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में अग्नि को देवताओं का मुख माना गया है। इसी कारण लोहड़ी मनाने वाले किसान मानते हैं कि अग्नि में समर्पित किया गया अन्न देवताओं तक पहुंचता है। ऐसा करके लोग सूर्य देव और अग्निदेव के प्रति अपनी कृतज्ञता अर्पित करते हैं। मान्यता है कि इससे धरती माता अच्छी फसल देती हैं और किसी को अन्न की कमी नहीं होती।
डॉ. अनीष व्यास के अनुसार मुगल शासक अकबर के समय की बात है, यहां पंजाब में दुल्ला भट्टी नाम के वीर थे। इन्होंने अमीर व्यापारियों से लड़कियों को छुड़ाया और शादी कराई थी। बाद में इन्हें पंजाब के नायक की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
इस तरह महिलाओं का सम्मान करने वाले वीर को लोहड़ी पर याद किया जाता है। दुल्ला भट्टी अत्याचारी अमीरों को लूटकर, निर्धनों में धन बांट देते थे। उसने एक गांव की निर्धन कन्या का विवाह स्वयं अपनी बहन के रूप में भी कराया था।
पंजाब में लोहड़ी को तिलोड़ी भी कहा जाता है। ये शब्द तिल और रोड़ी से मिलकर बना है। इस दिन रोड़ी, गुड़ और रोटी से मिलाकर तिलोड़ी पकवान बनाया जाता है। इसी के साथ लोहड़ी के दिन तिल और गुड़ खाने और आपस में बांटने की परंपरा है।
किंवदंतियों के अनुसार यह त्योहार माता सती से भी जुड़ा है। मान्यता है इस दिन ही प्रजापति दक्ष के यज्ञ में माता सती ने आत्मदाह किया था। इसके साथ ही इस दिन लोक नायक दुल्ला भट्टी, जिन्होंने मुगलों के आतंक से सिख युवतियों की लाज बचाई थी। उनकी याद में आज भी लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। लोग मिल जुल कर लोक गीत गाते हैं और ढोलताशे बजाए जाते हैं।
जिस घर में नई शादी हुई हो, शादी की पहली वर्षगांठ हो या संतान का जन्म हुआ हो, वहां तो लोहड़ी बड़े ही जोरदार तरीके से मनाई जाती है।
माना जाता है कि पौष की आखिरी रात सर्दी से बचने के लिए लोग आग जलाकर तापते हैं और लोहड़ी के गाने गाते हैं। इसमें बच्चे, बूढ़े सभी स्वर में स्वर और ताल में ताल मिलाकर नाचने लगते हैं। साथ ही ढोल की थाप के साथ गिद्दा और भांगड़ा भी किया जाता है।