CG Education: डीपीआई से जारी आदेश में जिले के 5 ‘हाई स्कूलों’ को आत्मानंद प्रोजेक्ट में शामिल करने की बात साफ तौर पर कही गई थी। शिक्षा विभाग के अफसरों ने इनमें से 4 स्कूलों को अपनी मर्जी से प्रोजेक्ट से हटा दिया..
CG Education: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में इग्नाइट स्कूल प्रोजेक्ट पर ताला मारने वाले अफसरों ने स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूलों (सेजेस) को भी नहीं छोड़ा। डीपीआई से जारी आदेश में जिले के 5 ‘हाई स्कूलों’ को आत्मानंद प्रोजेक्ट में शामिल करने की बात साफ तौर पर कही गई थी। शिक्षा विभाग के अफसरों ने इनमें से 4 स्कूलों को अपनी मर्जी से प्रोजेक्ट से हटा दिया। इनकी जगह ‘प्राइमरी’ और ‘मिडिल’ में आत्मानंद स्कूल खोल दिए।
इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि शिक्षा विभाग के अफसरों ने इसके लिए जिला प्रशासन से किसी तरह की अनुशंसा भी नहीं कराई थी। आरटीआई के तहत पत्रिका को मिले दस्तावेजों से पता चलता है कि तब के कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर ने जिले के 4 ब्लॉक और राजिम नगर पंचायत को मिलाकर 5 जगहों पर स्वामी आत्मानंद स्कूल खोलने का प्रस्ताव भेजा था। इसके बाद डीपीआई ने आदेश निकालकर जिले के 5 हाई स्कूलों को इस योजना के लिए चिन्हित किया था।
इसके बाद कलेक्टर द्वारा योजना के लिए गठित समिति में स्कूल या जगह बदलने का कोई प्रस्ताव नहीं आया। आरटीआई में खुद विभाग ने भी ऐसे दस्तावेज मुहैया नहीं कराए। मतलब साफ है कि चंद अफसरों ने मिलकर सरकार की सरकार की एक योजना पूरी तरह मटियामेट कर दी, तो दूसरे में भी अपने हिसाब से जबरिया फेरबदल किए।
जिले में शिक्षा सुधार के नाम पर वो कमाल किए गए, जो राज्य में कहीं नहीं हुए। इग्नाइट स्कूल बंद किए। आत्मानंद स्कूल भी अपनी मर्जी से दूसरी जगह शिफ्ट कर दिए। शिक्षा के क्षेत्र में किए इन नवाचारों से अफसरों के हाथ क्या आया! ये तो वे ही जानें। जिले की शिक्षा गुणवत्ता पर कोई खास असर नहीं पड़ा। अभी 2 दिन पहले प्रदेश के शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेसी जिले के दौरे पर आए।
बच्चे छोड़िए, शिक्षक भी आसान सवालों के जवाब नहीं दे पा रहे थे। परदेसी इतने भड़के कि उनके राजधानी लौटने से पहले जेडी ने एक संकुल समन्वयक और प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया। इससे पहले कलेक्टर दीपक अग्रवाल भी जिले के सरकारी स्कूलों में अर्धवार्षिक परीक्षा के बुरे नतीजों पर खुलकर अपनी नाराजगी जता चुके हैं।
डीईओ एके सारस्वत ने बताया कि अब तक की मेरी जानकारी के मुताबिक, समिति की अनुशंसा पर आत्मानंद स्कूलों की जगह बदली गई होगी। जिले के कलेक्टर भी इस समिति में होते हैं। उन्हीं की निगरानी में सारे फैसले लिए जाते हैं।