Gariaband News: बदहाल स्कूलों की तस्वीर बदलने के लिए सरकार ने स्कूल जतन योजना शुरू हुई, लेकिन कई महीने बीत जाने के बाद भी स्कूलों की हालत जस का तस है। ना शिक्षक है न स्कूल का मकान पक्का है।
Chhattisgarh News: बदहाल स्कूलों की तस्वीर बदलने के लिए सरकार ने स्कूल जतन योजना शुरू की। टपकती छत और कमजोर दीवार वाले स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए करोड़ों रुपए भेजे। गरियाबंद में भी स्कूलों की मरम्मत के लिए करोड़ों की राशि आई। मैनपुर ब्लॉक के ज्यादातर सरकारी स्कूलों को इसका फायदा नहीं मिल पाया। पत्रिका ने पहले भी इलाके के तीन सरकारी स्कूलों की बदहाली बताती खबर छापी थी। जर्जर सरकारी तंत्र की दूसी कड़ी में पढ़िए ब्लॉक मुख्यालय से 60 किमी दूर अमलीपदर के बाहरापारा प्राइमरी स्कूल की कहानी…
बाहरापारा में कृषक सेवा केंद्र है। यहीं एक कमरे में प्राइमरी स्कूल लग रहा है। पहली से पांचवी तक पढ़ाई कराने के लिए यहां कुल 2 शिक्षक हैं। छोटे से कमरे में न सबको साथ बिठाना संभव है, न साथ्ज्ञ पढ़ाना। ऐसे में बारी-बारी कक्षा लगाई जाती है। अभी खेती-किसानी का सीजन है। बच्चे जिस कमरे में पढ़ाई कर रहे हैं, उसके अगल-बगल के कमरों में खाद-बीज का स्टॉक भरा पड़ा है। खाद से उठने वाली गंध छात्रों के सिरदर्दी की वजह बन गई है। पालकों को चिंता है कि इससे उनके बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर न पड़े।
बाहरापारा में प्राइमरी स्कूल का अपना भवन है। सालों पहले बने इस भवन की छत खपरैल थी। पुराना होने की वजह से ये काफी जर्जर हो चुका था। कभी भी छत गिरने के खतरे को देखते हुए 8 साल पहले स्कूल कृषक सेवा केंद्र में शिफ्ट कर दिया गया था। गांव से कहा गया कि जल्द जीर्णोद्धार होगा। लोग आज तक इंतजार कर रहे हैं। गांव के लोग पहले ही बीईओ, डीईओ से लेकर कलेक्टर तक इसकी शिकायत कर चुके हैं। जुलाई महीने के अंत तक कोई नतीजा न निकलने पर चरणबद्ध आंदोलन की चेतावनी दी है।
शुक्रवार को मैनपुर में जिला स्तरीय जन समस्या निवारण शिविर लगाया गया था। यहां गांव के लोगों ने कलेक्टर दीपक अग्रवाल को पत्र सौंपकर स्कूल के लिए नया भवन बनाने की मांग की है। अगस्त से चरणबद्ध आंदोलन की बात भी कही है। इस दौरान पंकज मांझी, नीलकंठ, बलिहार, नन्हे लाल, गुणधर, सुपेत राम, खिरन, प्रेम मरकाम, डिगम आदि मौजूद रहे।