हावड़ा-दिल्ली मुख्य रेल मार्ग के दिलदारनगर से ताड़ीघाट होते हुए गाजीपुर सिटी को जोड़ने के बाद अब गाजीपुर से मऊ तक प्रस्तावित 37 किलोमीटर लंबी रेल लाइन के विस्तार पर रेल मंत्रालय ने रोक लगा दी है।
Mau- Ghazipur Rail News: हावड़ा-दिल्ली मुख्य रेल मार्ग के दिलदारनगर से ताड़ीघाट होते हुए गाजीपुर सिटी को जोड़ने के बाद अब गाजीपुर से मऊ तक प्रस्तावित 37 किलोमीटर लंबी रेल लाइन के विस्तार पर रेल मंत्रालय ने रोक लगा दी है। इससे मऊ को सीधे हावड़ा-दिल्ली मुख्य रेल मार्ग से जोड़ने की बहुप्रतीक्षित योजना को बड़ा झटका लगा है। हैरानी की बात यह है कि इस परियोजना के लिए केंद्रीय कैबिनेट पहले ही करीब 1766 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दे चुकी थी, लेकिन इसके बावजूद न तो भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया आगे बढ़ी और न ही टेंडर जारी किए गए।
वर्ष 1880 में अंग्रेजी शासन के दौरान दिल्ली-हावड़ा मुख्य रेल मार्ग पर स्थित दिलदारनगर स्टेशन से ताड़ीघाट तक छोटी रेल लाइन बिछाई गई थी। उस समय गंगा पर रेल पुल नहीं होने के कारण ताड़ीघाट से पैसेंजर ट्रेनें वापस लौट जाती थीं। यात्रियों को नाव के जरिए और बाद में हमीद सेतु से गंगा पार कर शहर पहुंचना पड़ता था। वर्ष 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद इस पुरानी योजना को दोबारा गति मिली।
रेल राज्य मंत्री रहते हुए मनोज सिन्हा ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के समय गठित पटेल आयोग की सिफारिशों के आधार पर ताड़ीघाट तक सीमित रेल लाइन को गाजीपुर सिटी स्टेशन तक बढ़ाने की पहल की। इसके तहत ताड़ीघाट-गाजीपुर-मऊ रेल विस्तारीकरण परियोजना तैयार की गई। पहले चरण में आरवीएनएल (रेल विकास निगम लिमिटेड) द्वारा ताड़ीघाट से गाजीपुर सिटी तक 9.6 किलोमीटर नई रेल लाइन बिछाई गई और गंगा पर अत्याधुनिक रेल-सह-रोड डबल डेकर पुल का निर्माण कराया गया।
यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अति महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल रही, जिसकी निगरानी पीएमओ स्तर से होती रही। पीएम मोदी ने 14 नवंबर 2016 को इसका शिलान्यास किया था। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री ने आजमगढ़ से वर्चुअल माध्यम से इस परियोजना का लोकार्पण भी किया। फिलहाल गाजीपुर सिटी से दिलदारनगर के बीच पैसेंजर ट्रेन का संचालन हो रहा है। गंगा पुल के किनारे से दो रेल लाइनें निकाली गई हैं—एक गाजीपुर सिटी स्टेशन और दूसरी गाजीपुर घाट को जोड़ती है।
करीब 1766 करोड़ रुपये की लागत से रेल-सह-रोड पुल और रेलवे लाइन का निर्माण पूरा हो चुका है। पहले चरण के बाद दूसरे चरण में गाजीपुर घाट से मऊ तक रेल लाइन बिछाई जानी थी, लेकिन रेलवे ने इस चरण को फिलहाल रोक दिया है। हालांकि, इसे रोकने के कारणों को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
इस रेल मार्ग का उद्देश्य सिर्फ पूर्वांचल को मजबूत रेल कनेक्टिविटी देना ही नहीं था, बल्कि दिल्ली-हावड़ा मुख्य रेल मार्ग में किसी तकनीकी खराबी या दबाव की स्थिति में इसे बाईपास रूट के रूप में भी इस्तेमाल किया जाना था।
गंगा पर रेल पुल से पूरा हुआ विश्वनाथ गहमरी का सपना
गाजीपुर के सांसद रहे विश्वनाथ सिंह गहमरी ने लोकसभा में ‘गोबरहवा गेहूं’ का उदाहरण देकर पूर्वांचल की गरीबी को राष्ट्रीय मंच पर रखा था। उनके भाषण से प्रभावित होकर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पटेल आयोग का गठन किया था, जिसने पूर्वांचल के विकास के लिए कई परियोजनाओं की सिफारिश की थी। गाजीपुर गंगा रेल पुल और यह रेल परियोजना उसी सोच का परिणाम मानी जाती है।
1100 मीटर लंबा और 16.9 मीटर चौड़ा डबल डेकर रेल-सह-रोड ब्रिज
करीब 26 हजार टन वजन का आधुनिक गंगा पुल
ताड़ीघाट-गाजीपुर-मऊ रेल परियोजना
पहला चरण (ताड़ीघाट से गाजीपुर सिटी) पूरा
दूसरा चरण (गाजीपुर घाट से मऊ) अधूरा
गाजीपुर के 62 और मऊ के 8 गांवों की जमीन होनी थी अधिग्रहित
मऊ रेल परियोजना के लिए छह साल पहले सर्वे कर विस्तृत प्लान तैयार किया गया था। करीब 70 गांवों में फैले किसानों की लगभग 250 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जानी थी। इस रूट पर जंगीपुर, बिरनों, मरदह और बढ़ुआ गोदाम के पास नए रेलवे स्टेशन प्रस्तावित थे, जो अब परियोजना रुकने से अधर में लटक गए हैं।
यह परियोजना पूरी होने पर पूर्वांचल के विकास में मील का पत्थर साबित होती। इससे न सिर्फ रेल आवागमन और यात्री सुविधाएं बढ़तीं, बल्कि उद्योग, शिक्षा और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होते। बेहतर कनेक्टिविटी से पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार को भी बड़ा लाभ मिलता। अब परियोजना पर लगी रोक से क्षेत्र के लोगों में निराशा है और वे इसके जल्द पुनः शुरू होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।