राज्यपाल ने समारोह में कुल 76 विद्यार्थियों को पदक प्रदान किए गए, जिनमें 56 छात्राएं और 20 छात्र शामिल थे। मेडल पाकर छात्र और छात्राएं उत्साह से सराबोर थे। इस सम्मान के दौरान लोगों ने प्रतिभाओं का तालियों से उत्साहवर्धन किया।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय का 44वां दीक्षांत समारोह आज दोपहर बाबा गम्भीरनाथ प्रेक्षागृह में आयोजित हुआ। समारोह की अध्यक्षता कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने की। मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रो. आशुतोष शर्मा, इंस्टिट्यूट चेयर प्रोफेसर, आईआईटी कानपुर ने दीक्षांत व्याख्यान दिया और उन्हें मानद डी.एससी. की उपाधि प्रदान की गई।
उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय तथा उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती रजनी तिवारी विशिष्ट अतिथि रहे। समारोह से पूर्व विद्वत पदयात्रा निकाली गई, जो ज्ञान और परंपरा के प्रतीक के रूप में आयोजित हुई। समारोह में शहर के गणमान्य व्यक्तियों, शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों एवं अन्य सहभागियों ने भाग लिया।
कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि युवा देश के कर्णधार हैं और उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी राष्ट्र को आगे बढ़ाना है। उन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी और कहा कि जिन्हें पदक नहीं मिला है, उन्हें निराश होने की आवश्यकता नहीं है। दहेज प्रथा पर भी उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि " “सोना मत माँगिए। जिंदगी मेहनत से बनती है, मांगने से नहीं”।छात्राओं को विशेष संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में केवल धन को ही महत्व न दें, बल्कि संस्कार और मूल्यों को ध्यान में रखकर निर्णय लें।
कुलाधिपति द्वारा समारोह में कुल 76 विद्यार्थियों को पदक प्रदान किए गए, जिनमें 56 छात्राएं और 20 छात्र शामिल थे। विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक 71 और डोनर पदक 90 प्रदान किए गए। कुल 161 मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष 43वें दीक्षांत समारोह में 55 विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक और 85 डोनर पदक प्रदान किए गए थे।प्रियंका प्रजापति को दीक्षांत समारोह में 7 मेडल मिला है।इप्सिता ओझा बताती हैं कि मुझे एमएससी प्राणी विज्ञान में पहले स्थान लाने के लिए 5 मेडल मिले हैं। शिवानी ओझा को BEd में 4 गोल्ड मेडल मिले हैं।