सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इसकी बानगी अभी हाल के दिनों में देखने को मिली है। खाद्य सुरक्षा विभाग ने छापेमारी के दौरान 750 बोरी नकली चना बरामद किया है। जो केमिकल युक्त है। यह नकली चना किडनी- लीवर खराब करने के साथ कैंसर को दावत देता है। आइये जानते हैं। नकली मिलावटी चने के गोरख धंधे का पूरा खेल? हम नकली और असली चने की पहचान कैसे करें।
बाजार में सस्ते दाम पर चना बेचने के लिए मिलावटखोर नए-नए तरीके अपना रहे हैं। कई जगह पुराने या घटिया चनों को केमिकल से चमकाकर नया जैसा बना दिया जाता है। कहीं टूटे-फूटे चनों को रंग और पॉलिश लगाकर मोटा-ताजा दिखाया जाता है। तो कहीं वजन बढ़ाने के लिए नमी या अन्य पदार्थ मिला दिए जाते हैं। कुछ मामलों में नकली चमक के लिए हानिकारक रंगों और तेल का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। जो जो कैंसर सहित विभिन्न बीमारियों को दावत दे रहा है।
खाद्य सुरक्षा विभाग ने पिछले दिनों गोरखपुर में छापा मारकर केमिकलयुक्त 750 बोरी जहरीला भुना चना जब्त किया। मौके पर मोबाइल लैब (फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स) में की गई जांच में चने में औरामाइन केमिकल की पुष्टि हुई। यह एक प्रतिबंधित रसायन है। जिससे कैंसर सहित अन्य बीमारियों का जोखिम है। विभाग ने मौके से चने का नमूना लिया है। जिसे जांच के लिए खाद्य विश्लेषक प्रयोगशाला में भेजा गया है। भुने हुए चने की कीमत करीब 20 लाख रुपये बताई जा रही है। मिलावटी चने की यह खेप मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से मंगवाई गई थी। विभाग अब इस सप्लाई चेन की भी जांच कर रहा है।
इस मिलावटी चने में औरामाइन' प्रतिबंधित केमिकल का प्रयोग हुआ है। यह केमिकल कपड़ा रंगने के काम आता है। खाद्य पदार्थों में इसका सेवन लिवर, किडनी को खराब कर सकता है। इसके साथ ही यह कैंसरकारी भी है।
असली चने का रंग हल्का पीला और एक-सा होता है। जबकि मिलावटी चना जरूरत से ज्यादा चमकदार दिखता है।
चने को पानी में डालें, अगर रंग छोड़ने लगे या पानी गंदा हो जाए तो मिलावट की आशंका है।
मुट्ठी में रगड़ने पर अगर हाथों में चिकनाहट या रंग लगे तो चना नकली हो सकता है।
असली चना पकने पर खुशबू देता है। जबकि मिलावटी चने में अजीब गंध आ सकती है।
खरीदारी करते समय खुले में बिक रहे जरूरत से ज्यादा चमकदार चनों से बचें और भरोसेमंद दुकानदार से ही दाल-अनाज लें।