गोरखपुर जोन में एडीजी ने ग्यारह जिलों के SP के साथ बैठक कर उन अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए विशेष रणनीति बनाएं जो एक जिले में रहकर दूसरे जिले में अपराध करते हैं।
गोरखपुर में अपराधियों पर नकेल कसने के लिए गोरखपुर जोन के एडीजी मुथा अशोक जैन के निर्देश पर जोन की पुलिस ने 'को-ऑपरेट टू अरेस्ट' अभियान की शुरुआत की है। गोरखपुर जोन के एडीजी ने बताया कि इस अभियान के तहत अब जोन के किसी भी जिले में यदि कोई अपराधी भागकर छिपता है तो जिस जिले का अपराधी होगा यहां की पुलिस उस जिले के थाने की पुलिस से कोऑपरेट कर उसे हिरासत में लेने को कहेगी।
जिले की पुलिस उसे गिरफ्त में ले लेगी और इसकी जानकारी संबंधित केस बाले जिले की पुलिस देगी और वहां की पुलिस टीम विधिक कार्रवाई के लिए अपने साथ लेकर आएगी। अभियान में रोजाना दर्जनों वारंटी पकड़े जा रहे हैं। एडीजी ने आगे बताया कि इस अभियान का उद्देश्य अपराधियों की गिरफ्तारी में लगने वाले समय को कम करना और अनुमति की प्रक्रिया को और सरल बनाना है।
बताते चलें कि प्राय: अक्सर देखने में आता है कि एक जिले का वांछित अपराधी दूसरे जिले में जाकर पनाह ले लेता है या फिर वह वहां का रहने वाला हो जाता है। इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस को नहीं हो पाती है लिहाजा वह गिरफ्तार नहीं कर पाती है। वहीं जब संबंधित जिले की पुलिस जिसके यहां से वह वांछित होता है वहां की पुलिस अनुमति मिलने के बाद जब दबिश देने पहुंचती है तो स्थानीय पुलिस से उसे सहयोग मांगना पड़ता है। ऐसी परिस्थिति में वांछित अपराधी को पुलिस के आने की भनक लग जाती है और वह मौके से फरार हो जाता है। इन्हीं समस्याओं को देखते हुए गोरखपुर जोन के एडीजी श्री जैन ने जोन की 11 जिलों की पुलिस के लिए संयुक्त कार्रवाई किए जाने हेतु मॉडल तैयार किया है।
एडीजी जोन द्वारा चलाए गए इस अभियान के संचालन के लिए एक विशेष व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया गया है। इसमें गोरखपुर जोन के सभी 11 जिलों के एसपी, एसएसपी, थानेदार, क्राइम ब्रांच अधिकारी के अलावा एडीजी और डीआईजी स्तर के अफसरों को शामिल किया गया है। किसी भी वांछित अपराधी का नाम, फोटो या अन्य विवरण इस ग्रुप में साझा किया जा रहा है। इसके बाद जिस थाने क्षेत्र में अपराधी रह रहा है या फिर जहां छिपने की सूचना मिली है वहां की पुलिस दबिश देकर उसे गिरफ्तार करेगी।