भाजपा ने पूर्वांचल क्षेत्र में अपनी कमजोर स्थिति सुधारने के लिए पंकज चौधरी को उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी है। इनके बनाए जाने से निश्चित ही, OBC वोट बैंक पर प्रभाव पड़ने की संभावना है।
बीजेपी द्वारा केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने के बाद यह स्वाभाविक है कि जातिवादी पार्टियों के माथे पर तनाव नजर आए, इसका सबसे ज्यादा प्रभाव अनुप्रिया पटेल पर पड़ने की संभावना है। पंकज चौधरी कुर्मी बिरादरी से आते हैं और सात बार के सांसद हैं, इस चयन के बाद अनुप्रिया पटेल की पार्टी 'अपना दल (एस)' पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव से जुड़ी है। जबकि तीसरी चर्चा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नए प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी के बीच के जटिल सियासी और मठ से जुड़े रिश्तों को लेकर है।
पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के पीछे बीजेपी की एक दूरदर्शी रणनीति दिखती है। 2024 लोकसभा चुनाव में हुए नुकसान के बाद बीजेपी अब जातिवार अपने कद्दावर नेताओं को आगे कर रही है ताकि यह संदेश दिया जा सके कि पार्टी में हर जाति का प्रतिनिधित्व मौजूद है। पंकज चौधरी (कुर्मी) को चुनकर पार्टी ने एक ऐसे नेता को आगे बढ़ाया है जो लगातार सात बार सांसद रहा है।
पंकज का चयन न केवल अनुप्रिया पटेल की पार्टी को तनाव दे सकता है, बल्कि आने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी को अपने दम पर OBC वोटरों को साधने में मदद कर सकता है। बीजेपी ने कुर्मी बिरादरी से आने वाले पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर ओबीसी वोट बैंक में अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिश की है।
यह नियुक्ति इस मायने में महत्वपूर्ण है क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनावों ओबीसी की बड़ी जातियां बीजेपी से दूर हो गई थीं।फिलहाल अपना दल (एस) के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि पंकज चौधरी की नियुक्ति से उनकी पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भाजपा ने एक संदेश भी दिया है कि अब वह अपने दल के बिरादरी नेताओं को अब आगे कर रही है।
पंकज चौधरी का राजनीतिक सफर 1989 से शुरू हुआ था। उन्होंने गोरखपुर नगर निगम में पार्षद चुने जाने के बाद अपने अनुभव और जमीन से जुड़े नेतृत्व की छवि बनाई। महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से सात बार सांसद चुने जाने वाले पंकज चौधरी वर्तमान में केंद्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री हैं।