Cumin Purity Test: मिलावट करने वाले इतने शातिर तरीके अपना रहे हैं कि देखने में नकली जीरा भी बिल्कुल असली जैसा लगता है।
Cumin Purity Test: बाजार में नकली और मिलावटी जीरे की बढ़ती बिक्री ने न सिर्फ उपभोक्ताओं की जेब पर असर डाला है, बल्कि उनकी सेहत के लिए भी बड़ा खतरा पैदा कर दिया है। खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ लगातार कार्रवाई के दावों के बावजूद जीरे में मिलावट के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, जीरे में मिलावट करने सस्ते और हानिकारक तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। दाल बाजार में सालाना 3 लाख बोरियों (एक बोरी है। में 30 किलो जीरा) की खपत होती वहीं जानकारों के मुताबिक करीब 2 लाख बोरी नकली और मिलावटी जीरे की खपत भी की जा रही है।
ग्राहकों के लिए असली और नकली जीरे में फर्क करना आसान नहीं है। मिलावट करने वाले इतने शातिर तरीके अपना रहे हैं कि देखने में नकली जीरा भी बिल्कुल असली जैसा लगता है। कई बार पैक्ड और ब्रांडेड उत्पादों में भी गुणक्ता को लेकर सवाल उठ रहे हैं, जिससे उपभोक्ताओं का भरोसा डगमगा रहा है। आलम यह है कि ब्रांडेड जीरा के वाम 260-280 रुपए किलो है वहीं मिलावटी जीरा से 150-180 रुपए किलो में उपलब्ध हो जाता है। इस मिलावटी जीरे को ब्रांडेड कंपनियों के कट्टों में भरकर पैकिंग करके बेचा जा रहा है।
हाथ में थोड़ा जीरा रखें और इसे मसलें। जीरा का रंग काला पड़ जाए तो समझें कि जीरा में मिलावट की गई है। असली जीरा रंग नहीं छोड़ता। शहर में हल्की क्वालिटी के मिलावटी जीरे की जमकर खपत की जा रही है। इसे सीधे किसान से खरीदा जाता है और इसकी पॉलिशिंग, ग्रीडिंग नहीं की जाती। घास के फूलों से तैयार इस तरह के जीरे में खुशबू भी नहीं होती है।
बहोड़ापुर स्थित यूपी एमपी ट्रांसपोर्ट पर शुक्रवार को दाल बाजार के कारोबारियों सहित जीरा कंपनी के एक ब्रांड अधिकारी की अगुवाई में पुलिस के साथ 46 बोरी नकली जीरा जब्त किया था। करीब 3.25 लाख रुपए कीमत वाले इस जीरे को झांसी भेजा जा रहा था। दाल बाजार व्यापार समिति के अध्यक्ष दिलीप पंजवानी ने बताया कि दाल बाजार में नकली ब्रांड के मसालों का कारोबार नहीं होने देंगे और ऐसे लोगों के खिलाफ समिति की कार्रवाई जारी रहेगी।
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