MP News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के एक बड़ागांव क्षेत्र की चौंकाने वाली खबर, यहां बिशप निवास परिसर में घने पेड़ों के बीच छिपकर चलाया जा रहा सेंटर, धर्मपरिवर्तन की चर्चा के बीच बड़ा खुलासा, एमपी समेत 5 राज्यों के 26 बच्चे बोले… दी जा रही फादर बनाने की ट्रेनिंग…
MP news: ग्वालियर जिले के एक बड़ागांव की खबर चौंकाने वाली है। यहां एक ऐसा सेंटर चलाया जा रहा है, जहां बच्चों को शिक्षा के साथ ही धर्मगुरु (Father) बनने की ट्रेनिंग दी जा रही है। यहां पढ़ने वाले बच्चे सिर्फ एमपी के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के अलावा ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और केरल से लाए गए 26 बच्चों को शिक्षा दी जा रही है।
जानकारी के मुताबिक ये सेंटर ईसाई मिशनरी संगठन की ओर से संचालित किया जा रहा था। बच्चों को अंग्रेजी भाषा के साथ ही धार्मिक, आध्यात्मिक शिक्षा दी जा रही है। यह भी सामने आया कि ये बच्चे यहां पढ़कर भविष्य में धर्मगुरु (Father) बनेंगे। धर्मोपदेश देने के लिए तैयार हो रहे हैं। दरअसल सेंटर को लेकर आरोप लगाए जा रहे हैं कि उनका धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। लेकिन फिलहाल वहां के बिशप ने इन आरोपों को गलत और अफवाह बताया है।
इस मामले पर एसडीएम सीबी प्रसाद का बयान भी सामने आया है उन्होंने कहा है कि बिना पूर्व सूचना के धर्म परिवर्तन कराना जबरन धर्म परिवर्तन की श्रेणी में आता है। ऐसे मामलों में राज्य धर्मांतरण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है। 10 साल की सजा का प्रावधान है। वहीं सीएम भी एलान कर चुके हैं कि एमपी में धर्मांतरण कानून में संशोधन प्रस्तावित है। सीएम मोहन यादव ने 8 मार्च को एलान भी किया था कि जबरन धर्मांतरण पर फांसी की सजा तक दी जा सकती है।
ग्वालियर के बड़ागांव के इस सेंटर पर जब बच्चों से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि यहां अंग्रेजी जैसे अन्य विषयों के साथ धार्मिक पढ़ाई भी कर रहे हैं। वे इस सेंटर में डीकन (धार्मिक प्रशिक्षक) बनने की पढ़ाई कर रहे हैं।
बता दें कि ये बिशप निवास बच्चों का ट्रेनिंग सेंटर है, बिशप के नेतृत्व में बच्चों का पालन-पोषण किया जाता है। वहीं यहां हाल ही में डबरा स्थित एक चर्च में एक बच्चे को डीकन बनाने का धार्मिक संस्कार संपन्न किया गया है।
मामला सामने आया लेकिन फिलहाल इस मामले में किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई है। लेकिन सवाल लाजमी है… ये मामला धर्म परिवर्तन का है? क्या इतने छोटे बच्चों को धार्मिक शिक्षा देना सही है? बच्चों का इस तरह विकास और पालन पोषण आखिर कितना सही?