हनुमानगढ़. जिले का कालीबंगा गांव करीब पांच हजार वर्ष पुरानी हड़प्पाकालीन सभ्यता की यादों को अपनी झोली में बरसों से समेटे हुए है।
-हनुमानगढ़ जिले में कालीबंगा क्षेत्र में हड़प्पा कालीन सभ्यता के मौजूद हैं अहम अवशेष
-नगर सभ्यता की दृष्टि से अनमोल है यहां की वस्तुएं, पांच हजार वर्ष पुरानी करीब 1500 वस्तुएं गैलरी में दर्शकों के दिखाने के लिए रखी है सुरक्षित
हनुमानगढ़. जिले का कालीबंगा गांव करीब पांच हजार वर्ष पुरानी हड़प्पाकालीन सभ्यता की यादों को अपनी झोली में बरसों से समेटे हुए है। पांच हजार वर्ष पहले नगर सभ्यता के बेजोड़ नमूने के तौर पर कालीबंगा क्षेत्र पूरी दुनिया में जाना जाता था। परंतु अचानक प्राकृतिक आपदा आने के चलते यह सभ्यता जमींदोज हो गई। पुरातत्व विभाग की खुदाई में मिली करीब 1500 हड़प्पाकालीन वस्तुओं को कालीबंगा संग्रहालय की प्रदर्शनी में लगाया गया है। देश-दुनिया की बात करें तो यहां जितनी समृद्ध सभ्यता के निशान मिले हैं, ऐसे बहुत कम जगहों पर देखने को मिले हैं।
इतनी पुरानी सभ्यता होने के बावजूद पर्यटकों को खींचने में हमारी सरकार काफी पीछे रही है। इतिहास का ज्ञान रखने वाले लोग कालीबंगा संग्रहालय को किसी तीर्थ से कम नहीं समझते। परंतु इसको विश्व पटल पर पहचान दिलाने के प्रति यहां की सरकारों ने उतनी इच्छाशक्ति नहीं दिखाई, जितने की जरूरत थी। मानव सभ्यता के लिहाज से महत्वपूर्ण कालीबंगा क्षेत्र के विकास को लेकर नियोजित योजना बनाने की जरूरत है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से अभी भी यहां खुदाई कार्य जारी है। इसमें समय-समय पर कई दुर्लभ वस्तुएं मिल रही है। इसके आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि हनुमानगढ़ जिले का यह कालीबंगा क्षेत्र पांच हजार वर्ष पूर्व कितना खुशहाल रहा होगा। इस सभ्यता के बनने से लेकर इसके मिट्टी में मिलने तक की कहानी यह सं्रग्रहालय खुद ही बयां कर देता है। अनदेखी का शिकार हो रहे इस संग्रहालय को विश्व पटल पर उचित स्थान दिलाने के लिए सरकार को कुछ अहम निर्णय लेने की जरूरत है। ऐसा करने से कालीबंगा संग्रहालय को पहचान मिलने के साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकेगा।
पूरा हब बनाने की जरूरत
हनुमानगढ़ जिले में कालीबंगा संग्रहालय के अलावा जिला मुख्यालय पर स्थित भटनेर दुर्ग भी काफी महत्वपूर्ण है। मजबूती के लिहाज से भारत के मजबूत किले में इसका नाम शुमार है। भटनेर किला, कालीबंगा संग्रहालय, गोगामेड़ी मंदिर सहित अन्य ऐतिहासिक स्थलों का पर्यटन हब बनाकर, यहां तक लोगों की पहुंच को आसान बनाने की योजना पर काम करने की जरूरत है। ताकि यहां पर पर्यटकों की आवाजाही बढ़े। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के साधन भी मिलेंगे।
एक कॉलोनी में 100 से 125 परिवार रहने का अनुमान
कालीबंगा संग्रहालय के आसपास बड़े क्षेत्र में थेहड़ हैं। थेहड़ मतलब हड़प्पाकाल में विकसित कॉलोनियां। माना जाता है कि एक थेहड़ या कॉलोनी में एक सौ से सवा सौ परिवार रहते थे। कालीबंगा संग्रहालय के एक कोने में करीब सात फुट के मनुष्य का कंकाल रखा गया है। उत्खनन स्थल पर जहां से कंकाल मिले हैं, वहां पर मिट्टी के कुछ बर्तन भी मिले हैं। कंकाल की ऊंचाई के लिहाज से माना जाता है कि हड़प्पन लोग सात फुट के करीब होते थे।
नगर सभ्यता का अनूठा मॉडल
इस संग्रहालय में देखने के लिए काफी कुछ रखा गया है। नगर सभ्यता की दृष्टि से कालीबंगा क्षेत्र दुनिया में बेहतर मॉडल माना जाता है। अन्य देशों के लोग जहां जंगलों में जीवन बसर कर रहे थे, उस वक्त कालीबंगा के लोग खेती करते थे। नगर बसाकर नियोजित व्यापार करते थे। ड्रेनेज सिस्टम इतना बेहतर था कि कहीं भी पानी नहीं ठहरता था। ईंटों को पकाने की ऐसी तकनीक विकसित की थी, जिसे आज तक पुरातत्व विभाग की टीम समझने का प्रयास कर रही है। कालीबंगा संग्रहालय की गैलरी में हड़प्पाकालीन मृदभांडों व उनके अवशेषों, पक्की मिट्टी से बने खिलौनों, शतरंज व चौसर खेलने के पासों, पानी निकासी के लिए प्रयोग किए जाने वाली पाइपों, छोटे पक्षियों के शिकार के लिए काम में ली जाने वाली सीलिंग बॉल्स व पक्की मिट्टी के बर्तन, अंत्येष्टि संस्कार प्रक्रिया में उपयोग होने वाले बर्तनों तथा उत्खनन से प्राप्त तांबा निर्मित उपकरणों को दर्शाया गया है।
ठहरने की नहीं सुविधा
जिले का कालीबंगा क्षेत्र इतना महत्वपूर्ण होते हुए भी आज भी बड़े शहरों से सीधी बस व रेल सेवा से नहीं जुड़ा हुआ है। इस वजह से लोग यहां तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। पर्यटकों के यहां ठहरने के लिए कोई रेस्ट हाउस अथवा धर्मशाला भी नहीं है। कालीबंगा संग्रहालय शुक्रवार को छोडकऱ पूरे सप्ताह पर्यटकों के लिए खुला रहता है। पर्यटकों की जानकारी के लिए गैलरियों में जगह-जगह पुरावशेषों के बारे में जानकारी लिखकर बोर्ड भी लगाए हुए हैं। संग्रहालय में भारतीय नागरिकों व अन्य देश के नागरिकों के लिए प्रवेश शुल्क पांच रुपए निर्धारित है। जबकि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का प्रवेश नि:शुल्क है।
जल्द तैयार करेंगे योजना
कालीबंगा क्षेत्र सभ्यता की दृष्टि से काफी समृद्ध है। करीब पांच हजार वर्ष पुरानी सभ्यता के अवशेष यहां मिले हैं। काफी महत्वपूर्ण स्थल कह सकते हैं। कालीबंगा संग्रहालय के आसपास पंचायतीराज विभाग की ओर से जो भी विकास कार्य करवाए जा सकते हैं, इसकी योजना मैं जल्द तैयार करवाता हूं। रही बात परिवहन सुविधा की तो इसके लिए डीटीओ से चर्चा कर लोकल लोगों के लिए सीधी बस सेवा शुरू करवाने का प्रयास करेंगे। ताकि स्थानीय लोगों का कालीबंगा तक पहुंचना आसान हो सके।
-ओपी बिश्नोई, सीईओ, जिला परिषद हनुमानगढ़।