हनुमानगढ़ जिले में नौ ग्राम पंचायतों को सीआरसी ग्रांट नहीं दी गई है। जिले में 269 ग्राम पंचायत हैं और ग्रांट 260 को दी गई है। प्रदेश के कई अन्य जिलों में भी ऐसी स्थिति है। प्रत्येक ग्राम पंचायत का सबसे बड़ा सरकारी स्कूल जो पीईईओ स्कूल भी होता है, उसे ही सीआरसी कहा जाता है।
Hanumangarh News : हनुमानगढ़. राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से सरकारी विद्यालयों के सुचारू संचालन के लिए जारी की गई सीआरसी तथा कम्पोजिट स्कूल ग्रांट गले की फांस बन गई है। एक तो राशि इतनी कम है कि शिक्षक संगठन उसे ऊंट के मुंह में जीरा बता रहे हैं, वहीं ग्रांट जारी करते समय जिले व प्रदेश की कई ग्राम पंचायतों को भुला दिया गया है। जिलों की संख्या में बढ़ोतरी के बावजूद सरकारी कामकाज में नए जिलों को लेकर भ्रम की सी स्थिति है। इस साल माशिबो, अजमेर का बोर्ड परीक्षा का परिणाम 50 जिलों के हिसाब से जारी किया गया। मगर अब राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने जो क्लस्टर रिसोर्स सेंटर (सीआरसी) ग्रांट जारी की है, वह प्रदेश के 33 जिलों के हिसाब से जारी की गई है। मतलब कि पैसा देते समय नए जिलों को वजूद में लाए जाने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है तथा नई ग्राम पंचायतों को सीआरसी ग्रांट से वंचित कर दिया गया है।
269 में से 260 को
हनुमानगढ़ जिले में नौ ग्राम पंचायतों को सीआरसी ग्रांट नहीं दी गई है। जिले में 269 ग्राम पंचायत हैं और ग्रांट 260 को दी गई है। प्रदेश के कई अन्य जिलों में भी ऐसी स्थिति है। प्रत्येक ग्राम पंचायत का सबसे बड़ा सरकारी स्कूल जो पीईईओ स्कूल भी होता है, उसे ही सीआरसी कहा जाता है। 26 तरह के काम कक्षा बारहवीं तक के राजकीय विद्यालयों के संचालन के लिए समसा ने 75 हजार रुपए की कम्पोजिट स्कूल ग्रांट दी है। बड़ी बात यह कि इस राशि से संस्था प्रधानों को 26 तरह के कार्य करवाने होते हैं जो टेढ़ी खीर साबित होता है। इसलिए शिक्षक संगठन निरंतर इस राशि में बढ़ोतरी की मांग करते रहते हैं।
कम्पोजिट स्कूल ग्रांट से कार्य
- पूरे साल बिजली व पानी का बिल भरना।
- प्रयोगशाला के उपकरणों का रख-रखाव व मरम्मत।
- विद्यालय की टूट-फूट, मरम्मत व सौंदर्यकरण।
- शाला स्वास्थ्य कार्यक्रम में रेफर किए गए विद्यार्थियों को अस्पताल ले जाने का किराया।
- शौचालयों व मूत्रालयों का रखरखाव, साफ-सफाई व मरम्मत।
- प्रतियोगिताओं का आयोजन, खेल सामग्री, उपलब्धि प्रमाण पत्र आदि पर खर्च।
मुख्यालय को लिखा जाएगा पत्र
जिले में ग्राम पंचायत 269 है मगर पीईईओ 260 ही है। उसके हिसाब से ही सीआरसी ग्रांट जारी होती है। इस संबंध में मुख्यालय को पत्र लिखेंगे कि नौ ग्राम पंचायत पर भी पीईईओ तय कर ग्रांट जारी की जाए। हंसराज जाजेवाल, डीईओ माध्यमिक मुख्यालय।
तो गतिविधियों में होगी परेशानी
जिले में नौ ग्राम पंचायतों को सीआरसी ग्रांट नहीं दी गई है। ग्रांट भी पुराने 33 जिलों के हिसाब से जारी की गई है। प्रदेश में 50 जिले हो चुके हैं, वे कब वजूद में आएंगे। स्कूल कम्पोजिट ग्रांट बहुत कम है। इसके चलते सीआरसी तथा अन्य सभी स्कूलों में निर्धारित गतिविधियों के संचालन, रखरखाव आदि में परेशानी आएगी। हरलाल ढाका, शिक्षक नेता, हनुमानगढ़।
- कंटेंजेंसी : समसा संबंधी कार्यों को संपादित करने तथा छात्र हित में खर्च।
- मीटिंग : सीआरसी विद्यालय पर प्रतिमाह बैठक कर शैक्षिक नवाचारों पर चर्चा, टीएलएम निर्माण कार्यशाला के आयोजन आदि पर खर्च।
- टीएलएम : सीआरसी विद्यालय व अधीनस्थ विद्यालयों के विज्ञान, गणित व सामाजिक विज्ञान के शिक्षकों से टीएलएम निर्माण कराने, कार्यशाला आयोजन आदि पर।
- फर्नीचर व कम्प्यूटर : सीआरसी विद्यालय के संस्था प्रधान कार्यालय में फर्नीचर, कम्प्यूटर आदि से जुड़े कार्यों पर खर्च।