हनुमानगढ़

राजस्थान में यहां चौथे दिन भी इंटरनेट बंद, DM-SP को हटाने की मांग, ग्रामीणों का आरोप- पुलिस ने गोली चलाई

Farmer Protest: हनुमानगढ़ के टिब्बी क्षेत्र में एथेनॉल फैक्ट्री को लेकर तनाव चौथे दिन भी जारी है। इंटरनेट बंद, कई परिवार गांव छोड़कर गए और ग्रामीण गुरुद्वारे में शरण लिए हुए हैं। किसानों ने कलेक्टर-एसपी का तबादला होने तक बातचीत से इनकार किया है।

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एथेनॉल फैक्ट्री के विरोध में किसानों का प्रदर्शन (फोटो- पत्रिका)

Farmer Protest in Hanumangarh: हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी क्षेत्र में एथेनॉल फैक्ट्री को लेकर पिछले चार दिनों से जारी तनाव थमने का नाम नहीं ले रहा है। राठीखेड़ा गांव में निर्माणाधीन ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड प्लांट के विरोध में ग्रामीणों का आंदोलन अब टकराव के दौर में पहुंच चुका है।

हालात बेकाबू न हों, इसके लिए प्रशासन ने चौथे दिन (शुक्रवार) भी इंटरनेट सेवाएं बंद रखने का फैसला लिया। क्षेत्र में सन्नाटा पसरा है, कई घरों पर ताले लटक रहे हैं और बड़ी संख्या में लोगों ने गुरुद्वारे को अस्थायी शरणस्थल बना लिया है।

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गुरुद्वारे में रात बिताते ग्रामीण, घायल वहीं उपचार ले रहे

टिब्बी का गुरुद्वारा सिंह सभा आंदोलनकारी किसानों और उनके परिवारों का ठिकाना बना हुआ है। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग यहां सुरक्षा की तलाश में पहुंचे हैं। बुधवार को हुए बवाल में घायल हुए कई लोगों का प्राथमिक उपचार भी इसी परिसर में किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस कार्रवाई के डर से कई परिवार अपने ही गांव में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं।

कलेक्टर और एसपी के स्थानांतरण तक बातचीत नहीं

शुक्रवार दोपहर कोर कमेटी की बैठक गुरुद्वारे में बुलाई गई है। किसान नेताओं ने साफ कर दिया है कि जब तक हनुमानगढ़ कलेक्टर और एसपी का ट्रांसफर नहीं किया जाता, तब तक प्रशासन से किसी तरह की बातचीत नहीं होगी। उनके मुताबिक आंदोलन शांतिपूर्ण था, लेकिन प्रशासन ने बल प्रयोग कर स्थिति को खराब किया।

महिलाओं का आरोप- पुलिस ने गोली चलाई

गुरुद्वारे में मौजूद महिलाओं ने आरोप लगाया कि बवाल के दौरान पुलिस ने गोलियां चलाई। उन्होंने सिंह सभा के अंदर कथित तौर पर मिले कारतूस के खोल भी दिखाए। ग्रामीणों का कहना है कि अगर पुलिस ने संयम रखा होता तो हालात इतने नहीं बिगड़ते।

पुलिस की कार्रवाई के बाद गांव का माहौल तनावपूर्ण है। कई परिवार गांव छोड़कर पास के रिश्तेदारों के यहां चले गए हैं। फैक्ट्री साइट के आसपास रहने वाले करीब 30 परिवारों ने सुरक्षा के डर से अपने घर खाली कर दिए हैं।

दो दौर की वार्ता बेनतीजा, पुलिस ने बाहरी तत्वों को बताया जिम्मेदार

गुरुवार को प्रशासन और किसानों के बीच दो बार वार्ता हुई, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। एडीजी वीके सिंह ने घटना के लिए बाहरी लोगों को जिम्मेदार ठहराया। उनका दावा है कि 10 दिसंबर को क्षेत्र में हालात सामान्य थे, लेकिन बाहर से आए लोगों ने भीड़ को भड़काया। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस ने किसी प्रकार की फायरिंग नहीं की और केवल भीड़ को नियंत्रित करने के निर्देशों का पालन किया।

उधर, अखिल भारतीय किसान सभा के जिला महासचिव मंगेज चौधरी ने आरोप लगाया कि यदि पुलिस के हथियार जंग खाए न होते तो और बड़ी जनहानि हो सकती थी। उन्होंने चेतावनी दी कि 17 दिसंबर को किसान कलेक्ट्रेट का घेराव करेंगे।

भाजपा विधायक ने किसानों से की मुलाकात, घटना को बताया ‘प्रायोजित’

गुरुवार देर शाम सादुलशहर के भाजपा विधायक गुरवीर सिंह बराड़ और अन्य जनप्रतिनिधि गुरुद्वारे पहुंचे। उन्होंने किसानों से बातचीत की और शांत रहने की अपील की। जोगाराम पटेल ने आरोप लगाया कि घटना सुनियोजित थी और इसे असली किसान आंदोलन की आड़ में किया गया।

उनका कहना है कि फैक्ट्री हिंसा में शामिल कई लोग राजस्थान से बाहर के थे। उन्होंने विश्वास दिलाया कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है और कानूनी दायरे में आने वाली मांगों पर विचार होगा।

क्या हुआ था 10 दिसंबर को? बवाल की पूरी कहानी

आंदोलन की शुरुआत बुधवार को उस समय हुई जब किसानों ने राठीखेड़ा में निर्माणाधीन एथेनॉल प्लांट की बाउंड्री वॉल तोड़ दी। भीड़ प्लांट के अंदर गई और कार्यालय में आग लगा दी। इसके बाद पुलिस और ग्रामीणों के बीच पत्थरबाजी शुरू हो गई। इस झड़प में लगभग 70 लोग घायल हुए, जिनमें कांग्रेस विधायक भी शामिल थे। हिंसा के बाद से कई घायल रातभर गुरुद्वारे में ही रहे।

महिलाओं की पीड़ा- जीवन दूभर होगा, पानी जहर बनेगा

गांव की कई महिलाओं ने एथेनॉल प्लांट को लेकर गंभीर चिंता जताई। सुखजीत कौर ने कहा कि फैक्ट्री के संचालन से पानी और हवा प्रदूषित होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन पर हमला किया और चोटें पहुंचाईं। महिलाओं का कहना है कि अगर प्लांट शुरू हुआ तो दमा, कैंसर, त्वचा रोग जैसे खतरे बढ़ेंगे। वे स्वच्छ हवा और पीने योग्य पानी को अपना मूल अधिकार बता रही हैं।

16 महीने से जारी संघर्ष

गांव में एथेनॉल फैक्ट्री का विरोध नया नहीं है। सितंबर 2024 से जून 2025 तक 10 महीनों तक शांतिपूर्ण आंदोलन चलता रहा। जुलाई 2025 में कंपनी द्वारा बाउंड्री निर्माण शुरू होने पर विरोध तेज हुआ। 19 नवंबर को पुलिस सुरक्षा में निर्माण दोबारा शुरू हुआ, जिसके बाद किसानों और पुलिस की कई बार भिड़ंत हुई। कई किसान नेताओं को गिरफ्तार भी किया गया।

आखिर विवाद क्यों? कंपनी अपनी दलीलों पर कायम

चंडीगढ़ रजिस्टर्ड ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड राठीखेड़ा में 40 मेगावाट क्षमता वाला अनाज आधारित एथेनॉल प्लांट बना रही है। कंपनी का कहना है कि यह प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल कार्यक्रम को मजबूती देगा। वहीं, एडीजी सिंह का दावा है कि प्लांट से 700-800 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और हजारों को अप्रत्यक्ष लाभ होगा।

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Updated on:
12 Dec 2025 11:48 am
Published on:
12 Dec 2025 11:19 am
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