हरदोई

Hardoi: मन्नतों से मिला इकलौता बेटा गड्ढे में डूबा, रोते–रोते बेहाल हुआ परिवार और मातम में डूबा पूरा गांव

Hardoi Child Death:   हरदोई के मुंडेर गांव में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां घर में खेल रहा एक वर्षीय मासूम नाली के गड्ढे में डूब गया। तीन बेटियों के बाद मन्नतों से मिले इकलौते बेटे की दर्दनाक मौत से परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। पूरे गांव में मातम फैल गया।

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Nov 21, 2025
इकलौते बेटे को खोकर बदहवास हुए माता-पिता, गांव में मातम का माहौल (फोटो सोर्स : Police Whatsapp News Group )

Hardoi Sensitive News: हरदोई जिले के सवायजपुर कोतवाली क्षेत्र के रूपापुर मुंडेर गांव में शुक्रवार सुबह उस समय कोहराम मच गया, जब घर के आंगन में खेल रहा 1 वर्षीय मासूम अचानक घर के भीतर बने नाली के गड्ढे में जा गिरा और डूब गया। परिजन जब तक उसे खोज कर अस्पताल ले गए, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने मासूम को मृत घोषित कर दिया। तीन बेटियों के बाद मन्नतों से हुए इकलौते बेटे की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। घर में मातम पसरा है और मां-बाप की चीखें पूरे गांव को दहला रही हैं।

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मन्नतों के बाद मिला था इकलौता बेटा

मुंडेर गांव निवासी पुष्पेंद्र खेती-किसानी कर परिवार का पालन-पोषण करते हैं। उनकी तीन बेटियाँ,प्रज्ञा, वर्तिका और अनन्याहैं। परिवार वर्षों से बेटे की कामना कर रहा था। किस्मत ने ठीक एक वर्ष पहले उन्हें बेटा दिया, जिसका नाम रखा गया,कार्तिक। कार्तिक जन्म से ही पूरे परिवार का दुलारा था। घर में कदम रखते ही जैसे खुशियों की बौछार हो गई थी। दादा-दादी से लेकर माता-पिता तक, कार्तिक की मुस्कान पूरे घर में रौनक भर देती थी। माता जयंती अक्सर कहती थीं-“अब परिवार पूरा हो गया। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

घर में खेलते-खेलते पहुँचा गड्ढे के पास

घटना शुक्रवार सुबह करीब 9 बजे की है। रोज़ की तरह कार्तिक घर के आंगन में खेल रहा था। परिजन घरेलू कामों में लगे हुए थे। घर के भीतर ही नाली की सफाई के लिए एक गड्ढा बनाया गया था, जिसकी गहराई थोड़ी अधिक थी और उसमें पानी भरा हुआ था। इसी दौरान खेलते-खेलते कार्तिक किसी तरह उस गड्ढे के पास पहुँचा और पैर फिसलने से वह उसमें गिर पड़ा। मासूम होने के कारण वह खुद को बचाने का प्रयास भी नहीं कर सका।

जब बच्चे के न दिखने पर हुई तलाश

कुछ देर बाद जब कार्तिक नजर नहीं आया तो परिवार के लोगों को अनहोनी का अंदेशा हुआ। मां जयंती ने पहले कमरे, आंगन और घर के आसपास तलाश की। लेकिन कहीं नहीं दिखाई दिया। खोजबीन के दौरान किसी की नजर उस गड्ढे पर पड़ी, जिसमें कार्तिक उतराता मिला। यह दृश्य देखकर परिवार वालों की चीख निकल गई। जयंती बेहोश होकर गिर पड़ीं। आसपास के लोग दौड़ पड़े। किसी तरह बच्चे को गड्ढे से बाहर निकाला गया और तत्काल फर्रुखाबाद के एक निजी अस्पताल लेकर भागे।

अस्पताल पहुंचते ही टूटी उम्मीदें

अस्पताल में डॉक्टरों ने जांच के बाद सोगवार शब्दों में कहा,बच्चा जा  चुका है। डॉक्टरों के इन शब्दों ने माता-पिता की दुनिया उजाड़ दी। पुष्पेंद्र और जयंती की चीखें अस्पताल में गूंज उठीं। पिता कई बार बच्चे को गोद में लेकर हिलाते रहे.शायद बेटे की सांसे लौट आएं। लेकिन मासूम कार्तिक दुनिया छोड़ चुका था।

घर में मातम, मां बदहवास

घटना के बाद जयंती पूरी तरह टूट चुकी हैं। कभी रोते-रोते बेहोश हो जाती हैं, तो होश में आते ही बेटे का नाम लेकर फिर विलाप करने लगती हैं। पिता पुष्पेंद्र भी सदमे में हैं और किसी से बात तक नहीं कर पा रहे। बच्चे की बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है। गांव में हर कोई यही कह रहा है कि तीन बेटियों के बाद बड़ी मन्नतों से बेटा हुआ था,भगवान ने भी क्यों इतनी जल्दी बुला लिया। 

सूचना पुलिस को नहीं दी

परिवार के इस गहरे आघात को देखते हुए परिजनों ने पुलिस को सूचना नहीं दी। उनका कहना है कि यह पूरी तरह एक दुर्घटना है और वे किसी कानूनी प्रक्रिया में नहीं पड़ना चाहते। गांव के बुजुर्गों ने भी परिवार को सहारा देने और दुःख कम करने की कोशिश की।

गांव के लोगों ने हादसे को बताया गंभीर लापरवाही का परिणाम

गांव के निवासियों ने दुख जताते हुए कहा कि घरों में बने खुले गड्ढे, नालियां और पानी के टैंक हादसों का कारण बन जाते हैं। छोटे बच्चों के चलते घर के आसपास सुरक्षा बेहद जरूरी है। कई लोगों ने कहा कि अगर गड्ढा ढका होता तो यह दुर्घटना टाली जा सकती थी।

बचपन के साथ ऐसे हादसे बढ़ते जा रहे

  • इस तरह की दुर्घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों से लगातार सामने आ रही हैं
  • घर के आंगन में बने टैंक
  • खुले गड्ढे
  • नालियां
  • पानी भरे खड्ड
  • खेतों की मेढ़ों के पास गड्ढे

अक्सर सुरक्षा की कमी बच्चे की जान ले लेती है। विशेषज्ञों का मानना है कि छोटे बच्चे दो से तीन इंच पानी में भी डूब सकते हैं, इसलिए घर में सुरक्षा को लेकर विशेष सावधानी आवश्यक है।

कार्तिक की यादों में डूबा परिवार, गांव में पसरा सन्नाटा

कार्तिक की छोटी-छोटी हरकतें और मधुर मुस्कान परिवार के ज़हन से उतर नहीं रही हैं। उसकी बहनों के हाथों में अभी भी वही खिलौना है, जिसे वे हर रोज उससे छीन लेने पर खेल-खेल में रोते थे। अब वही खिलौने घर के एक अंधेरे कोने में दफन हो गए हैं। परिजनों की आँखों में एक ही सवाल है,आखिर इतने छोटे बच्चे को किस बात की सजा मिली। शुक्रवार का दिन गांव वालों के लिए सदमे भरा रहा। जैसे ही कार्तिक का शव घर पहुंचा, पूरे गांव में मातम छा गया। पड़ोसी महिलाए जयंती को संभालने में लगी रहीं।

पुरुषों ने पुष्पेंद्र को ढांढस बंधाया, लेकिन बेटे के जाने का दर्द साफ झलक रहा था। हर किसी की जुबान पर यही था,भगवान ऐसे दुख किसी को न दे। इस दिल दहला देने वाली दुर्घटना ने गांव में एक चेतावनी भी छोड़ दी है। बच्चे कहीं भी खेल सकते हैं, इसलिए घर में बने गड्ढे, नालिया और टंकियों को ढक कर रखना आवश्यक है। एक छोटी-सी चूक मासूम जान ले सकती है।

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