AI Detects Heart Disease and Kidney Disorders: ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक AI रेटिना टूल विकसित किया है जो आंख की तस्वीर देखकर दिल और किडनी की बीमारियों का शुरुआती पता लगा सकता है, डिटेल के लिए पढ़ें पूरी खबर।
AI Detects Heart Disease Kidney Disorders: अब डॉक्टरों को किसी बीमारी का पता लगाने के लिए बार-बार ब्लड टेस्ट या महंगे मेडिकल स्कैन की जरूरत नहीं पड़ेगी। ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल तैयार कर रहे हैं जो रेटिना (आंख की झिल्ली) की तस्वीर देखकर ही यह बता सकेगा कि किसी व्यक्ति के दिल या किडनी में बीमारी के शुरुआती लक्षण हैं या नहीं। चलिए जानते हैं ये AI टूल मेडिकल साइंस के लिए कैसे वरदान बन सकता है।
यह अनोखा शोध ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में किया जा रहा है। शोधकर्ताओं का मकसद एक ऐसा ‘फाउंडेशनल एआई मॉडल’ बनाना है जो सिर्फ आंख की तस्वीर देखकर शरीर से जुड़ी कई क्रॉनिक (दीर्घकालिक) बीमारियों की पहचान कर सके।
रेटिना को इसलिए चुना गया है क्योंकि यह हमारी ब्लड वेसल्स (रक्त वाहिकाओं) और नर्वस सिस्टम की स्थिति को सीधा दिखाता है। यानि, आंखों की एक तस्वीर हमारे शरीर के अंदर चल रही कई गतिविधियों का संकेत दे सकती है।
वैज्ञानिक एआई का इस्तेमाल करके कई लोगों की आंखों की तस्वीरें और हेल्थ रिकॉर्ड्स का विश्लेषण कर रहे हैं। इन डाटा के आधार पर एक ऐसा एआई मॉडल बनाया जा रहा है, जो दिल, किडनी और शरीर से जुड़ी कई बीमारियों को एक साथ पहचान सकेगा।
यह नया एआई मॉडल अभी की तकनीक से काफी एडवांस होगा, क्योंकि फिलहाल ज्यादातर मशीनें सिर्फ एक ही बीमारी पहचान पाती हैं। लेकिन इस एआई सिस्टम से एक ही टेस्ट में कई बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा।
मौजूदा मेडिकल टेस्ट न केवल महंगे हैं बल्कि कई बार दर्दनाक या जटिल भी होते हैं। वहीं यह नया एआई टूल नॉन-इनवेसिव होगा। यानी इसमें सुई या किसी मेडिकल प्रोसेस की जरूरत नहीं पड़ेगी। सिर्फ एक रेटिना स्कैन के जरिए मरीज के दिल और किडनी की स्थिति का पता चल सकेगा।
मोनाश यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर झोंगयुआन गे का कहना है, ''यह मॉडल कई सालों के डी-आइडेंटिफाइड डेटा पर आधारित है और यह एक साथ कई बीमारियों की पहचान करने में सक्षम होगा। यह तकनीक अब तक की एक बीमारी वाली जांच से कहीं ज्यादा एडवांस है।
ऑप्टेन हेल्थ के अध्यक्ष जैकरी टैन, जो इस शोध के प्रमुख सहायक हैं, ने कहा कि रेटिना इमेजिंग की मदद से बीमारियों का शुरुआती चरण में ही पता लगाया जा सकेगा। इससे हमारी स्वास्थ्य प्रणाली अब इलाज के बजाय रोकथाम पर ज्यादा ध्यान दे सकेगी।
अगर यह तकनीक सफल होती है तो दुनिया भर में दिल और किडनी जैसी बीमारियों का शुरुआती पता लगाना बहुत आसान हो जाएगा। इससे मरीजों का समय और खर्च दोनों बचेंगे और जांच प्रक्रिया पहले से कहीं तेज व सटीक होगी।
सिर्फ एक रेटिना स्कैन के जरिए अगर गंभीर बीमारी की पहचान शुरुआत में ही हो जाए तो यह वाकई मेडिकल साइंस के लिए एक बड़ी क्रांति साबित हो सकती है।