Walking Cure Cancer : क्या वॉक करने से कैंसर ठीक हो सकता है। मोफिट कैंसर सेंटर के थोरासिक ऑन्कोलॉजी के डॉ. लैरी रॉबिन्सन कहते हैं पैदल चलना सबसे असली कैंसर की दवा है।
Walking Cure Cancer : कैंसर का नाम सामने आते ही दिमाग में सीधा एक ही ख्याल मन में आता है अब तो बस बिस्तर पकड़ लो जितना हो सके आराम करो और अपनी ताकत बचाओ। ये सब जितना सुना-सुनाया है असल में उतना सही नहीं है। मोफिट कैंसर सेंटर के थोरासिक ऑन्कोलॉजी वाले डॉ. लैरी रॉबिन्सन जो फेफड़ों के कैंसर के मरीजों को सालों से देख रहे हैं खुद बोलते हैं, सबसे बड़ा झूठ जो लोग मानते है वो है कि आराम ही सबसे जरूरी है। उनके हिसाब से और साइंस भी यही बोलती है चलते रहो, यही असली दवा है।
डॉ. रॉबिन्सन ने बिल्कुल सीधी-सपाट बात कही, चलना वो चीज है जो आपके मूड से लेकर आप कितनी जल्दी ठीक हो रहे हो सब कुछ बदल सकता है। अब देखो, जब लोग डॉक्टर के चक्कर काट रहे होते हैं, रिपोर्ट्स का इंतजार, सर्जरी की टेंशन या फिर कीमोथेरेपी की टेंशन सब कुछ एकदम सर पर। उस वक्त हर कोई पूछता है अब क्या करें, डॉ. रॉबिन्सन हर बार यही कहते हैं आराम मत करो, चलो उठो, चलना शुरू करो।
डॉ. रॉबिन्सन तो हमेशा बोलते रहते हैं कि चलना-फिरना सिर्फ टाइम पास नहीं है ये सच में नींद दुरुस्त करता है मूड भी ठीक हो जाता है और बॉडी इलाज को भी बढ़िया रिस्पॉन्ड करती है। डिप्रेशन कम, इम्यूनिटी हाई, सूजन गायब और ये सब तो कैंसर से लड़ने में एकदम गेमचेंजर है। मजेदार बात? वो अपने पेशंट्स को कैंसर और व्यायाम फायदेमंद है टाइटल वाली एक बुकलेट भी पकड़ा देते हैं जिसमें ढेर सारे रिसर्च की बातें लिखी गई हैं। एक स्टडी तो यहां तक कहती है कि एक्सरसाइज सिर्फ ट्रीटमेंट के वक्त ही नहीं बल्कि 13 अलग-अलग तरह के कैंसर का रिस्क कम कर सकती है।
सर्जरी के बाद डॉ. रॉबिन्सन अपने मरीजों को एक्सरसाइज वाली किताब देते हुए बोलते है अगर जल्दी ठीक होना है तो बस एक काम करो चलते रहो जितना चलोगे, उतनी जल्दी ठीक होगे, मूड भी बढ़िया रहेगा, और सूजन भी होगी। उनका कहना है रोजाना 30 मिनट तक तेज चलना लगभग 150 मिनट प्रति सप्ताह पर्याप्त है। यह लगभग 5,000 से 7,000 कदम बराबर होता है।
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अमेरिकन कैंसर सोसाइटी ने करीब 1 लाख 40 हजार लोगों एक रिसर्च किया उसमें ये निकला कि सबसे आसान, सबसे सस्ता, और सबसे बढ़िया एक्सरसाइज है… चलना। आम चलता-फिरता आदमी भी अगर बस थोड़ा-सा धीरे-धीरे भी चले तो कैंसर से मरने का रिस्क कम हो जाता है। मतलब 69 साल के औसत उमर वाले लोगों ने साफ-साफ बताया कि उनकी एक्सरसाइज बस चलना ही है। कोई जिम, कोई भारी-भरकम डंबल नहीं।
अब सिटी ऑफ होप कैंसर सेंटर, अटलांटा के फिजिकल थेरेपिस्ट किर्क बोवर्स ने खुलकर बोला, अगर आप थोड़ा तेज चलो तो और भी जबरदस्त फायदा मिलता है।