Cancer Risk After Treatment : क्या आप जानते हैं रेडियोथेरेपी के बाद भी कैंसर का खतरा छिपा रह सकता है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि रेडियोथेरेपी के बाद शरीर में सूक्ष्म कैंसर कोशिकाएं बच सकती हैं। जोकि दुबारा से कैंसर का कारण बन सकती हैं।
Residual Cancer After Radiotherapy : रेडियोथेरेपी कैंसर के इलाज का एक प्रभावी तरीका माना जाता है, लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इसके बाद भी शरीर में सूक्ष्म कैंसर कोशिकाएं बच सकती हैं। स्कैन में ट्यूमर के गायब होने का मतलब यह नहीं कि कैंसर(Cancer) पूरी तरह खत्म हो गया है। शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि डॉक्टरों को सिर्फ स्कैन के नतीजों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि अन्य तरीकों से भी निगरानी करनी चाहिए।
शिकागो विश्वविद्यालय मेडिकल सेंटर के डॉक्टर मुजामिल अरशद और उनकी टीम ने ऑन्कोटारगेट जर्नल में प्रकाशित अपने हालिया शोध में कैंसर के उपचार के बाद बची रह जाने वाली अवशिष्ट (रेजिडुअल) कैंसर कोशिकाओं को लेकर चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि कैंसर के इलाज की सफलता को मापने के मौजूदा तरीकों पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। विशेष रूप से, उपचार के बाद कैंसर की निगरानी कैसे की जाए, इस पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
फेफड़े, लिवर, प्रोस्टेट और अन्य अंगों के कैंसर के इलाज में स्टिरियोटैक्टिक एब्लेटिव रेडियोथेरेपी (SABR) जैसी उन्नत तकनीक का उपयोग किया जाता है। यह बहुत सटीक तरीके से रेडिएशन पहुंचाकर कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में मदद करती है। हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि यह तकनीक भले ही स्कैन में अच्छे नतीजे दिखाती हो, लेकिन इसके बाद भी कुछ मामलों में कैंसर कोशिकाएं बची रह सकती हैं।
एक महत्वपूर्ण शोध में पाया गया कि:
- फेफड़ों के कैंसर (Lung Cancer) के 40% मामलों में कैंसर कोशिकाएं बची रहती हैं।
- गुर्दे के कैंसर (Kidney cancer) में यह आंकड़ा 57-69% तक पहुंच सकता है।
- प्रोस्टेट कैंसर (Prostate cancer) के 7.7-47.6% मामलों में भी अवशेष पाए गए।
- लिवर कैंसर (Liver Cancer) के मामलों में 0-86.7% तक कैंसर कोशिकाएं बनी रह सकती हैं।
इससे साफ है कि स्कैनिंग तकनीक हमेशा 100% सटीक नहीं होती। कई बार, महीनों या सालों बाद किए गए टिश्यू परीक्षण (बायोप्सी) में कैंसर कोशिकाएं मिल जाती हैं, जो स्कैन से नहीं पकड़ में आतीं।
अगर शरीर में थोड़ी भी कैंसर कोशिकाएं बची रह जाती हैं, तो यह भविष्य में कैंसर के लौटने का खतरा बढ़ा सकती हैं। शोध से पता चला है कि मलाशय, गर्भाशय ग्रीवा, प्रोस्टेट और लिवर कैंसर में यह खतरा अधिक देखा जाता है। कैंसर सिर्फ एक ही स्थान पर सीमित नहीं रहता, बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है।
शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि—
- सिर्फ स्कैन पर भरोसा करने के बजाय, डॉक्टरों को अतिरिक्त जांच करनी चाहिए।
- मरीजों को रेडियोथेरेपी के बाद भी नियमित रूप से बायोप्सी और अन्य परीक्षण करवाने चाहिए।
- कैंसर के इलाज के बाद निगरानी की अवधि और गहराई को बढ़ाने की जरूरत है।
रेडियोथेरेपी (Radiotherapy) एक प्रभावी उपचार है, लेकिन यह कैंसर को पूरी तरह खत्म कर पाया है या नहीं, यह सुनिश्चित करने के लिए सिर्फ स्कैन पर्याप्त नहीं है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मरीजों को बेहतर और सुरक्षित भविष्य देने के लिए अतिरिक्त निगरानी आवश्यक है।
डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें। हैं
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