Covid Vaccine Linked To Cancer: कोरिया ने अपने रिसर्च में दावा किया गया कि कोविड वैक्सीन लेने वालों में 6 तरह के कैंसर का खतरा ज्यादा हो सकता है। जानिए क्या है सच्चाई और क्यों इस स्टडी पर वैज्ञानिकों ने सवाल उठाए।
Covid Vaccine Linked To Cancer: कोरोना महामारी के समय जब पूरी दुनिया संकट से जुझ रही थी, तब वैज्ञानिकों ने बहुत तेजी से कोविड-19 वैक्सीन तैयार किया। इस वैक्सीन ने लाखों लोगों की जान बचाई और गंभीर बीमारी, हॉस्पिटलाइजेशन और मौत के जोखिम को कम किया। दुनियाभर में अरबों लोगों को mRNA और अन्य प्रकार की वैक्सीन दी गई, जिनमें से कई ने बूस्टर डोज भी लगवा ली। लेकिन शुरुआत से ही इस वैक्सीन को लेकर कई विवाद देखने को मिले हैं। कभी इसे हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों से जोड़ा गया, तो कभी अन्य बीमारियों से। लेकिन इस बार जो दावा किया जा रहा है वह वाकई हैरान करने वाला है।
डेली मेल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक स्टडी पब्लिश की है, जिसमें दावा किया गया है कि कोविड वैक्सीन लेने वाले लोगों में 6 तरह के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। यह स्टडी 2021 से 2023 तक करीब 84 लाख वयस्कों के हेल्थ रिकॉर्ड पर आधारित है। शोधकर्ताओं ने लोगों को दो ग्रुप्स में बांटा एक वैक्सीनेटेड और दूसरा नॉन-वैक्सीनेटेड। इसके बाद दोनों ग्रुप्स में एक साल के अंदर कैंसर की दर की तुलना की गई।
स्टडी में बताया गया कि थायरॉइड कैंसर का खतरा 35% बढ़ा। गैस्ट्रिक (पेट) कैंसर का रिस्क 34% ज्यादा पाया गया। प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम 68% तक बढ़ सकता है। फेफड़ों का कैंसर 53% ज्यादा पाया गया। ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क 20% और कोलोरेक्टल कैंसर का 28% बढ़ा हुआ देखा गया। रिसर्च के अनुसार पुरुषों में फेफड़े और पेट के कैंसर का खतरा ज्यादा था, जबकि महिलाओं में थायरॉइड और कोलन कैंसर का।
अध्ययन में यह भी दावा किया गया कि mRNA वैक्सीन (Pfizer और Moderna) का संबंध थायरॉइड, फेफड़े, कोलन और ब्रेस्ट कैंसर से है, जबकि cDNA वैक्सीन को थायरॉइड, गैस्ट्रिक, कोलन, फेफड़े और प्रोस्टेट कैंसर से जोड़ा गया। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं बताया गया कि वैक्सीन शरीर में ऐसी कौन-सी प्रक्रिया शुरू करती है जिससे कैंसर का खतरा बढ़े।
अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के डॉ. बेंजामिन मेजर ने इस स्टडी को वैज्ञानिक रूप से कमजोर बताया। उनका कहना है कि कैंसर अचानक नहीं होता, इसे विकसित होने में सालों लगते हैं। किसी भी वैक्सीन को कैंसरजनक साबित करने के लिए लंबी अवधि तक ट्रैक करना जरूरी है। यह स्टडी सिर्फ "कैंसर डायग्नोसिस" पर आधारित है, न कि उसकी वास्तविक उत्पत्ति पर। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वाकई वैक्सीन कैंसर का कारण होती, तो 2022 तक कोरिया में कैंसर मामलों में भारी वृद्धि दर्ज होती। लेकिन कोरियन कैंसर एसोसिएशन के आधिकारिक आंकड़े इस दावे का समर्थन नहीं करते।