स्वास्थ्य

फ्रिज में रखे कच्चे दूध में 5 दिनों तक जिंदा रहता है ये खतरनाक वायरस

Flu Virus in Raw Milk : वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि कच्चा दूध, जो रेफ्रिजरेटर में रखा जाता है, उसमें इन्फ्लूएंजा (फ्लू) वायरस पांच दिनों तक जिंदा रह सकता है।

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Dec 14, 2024
Flu Virus in Raw Milk

Flu Virus in Raw Milk : स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि कच्चे दूध (Raw Milk) में इन्फ्लूएंजा या फ्लू वायरस (Flu Virus) पांच दिनों तक जिंदा रह सकता है। यह शोध एक ऐसे समय में आया है जब डेयरी मवेशियों में बर्ड फ्लू के प्रकोप के कारण महामारी की आशंका बढ़ गई है।

Flu Virus in Raw Milk : फ्लू वायरस का कच्चे दूध में जीवित रहना

इस अध्ययन ने कच्चे गाय के दूध में मानव इन्फ्लूएंजा वायरस (एच1एन1 पीआर8) के जिंदा रहने और पांच दिनों तक संक्रामक बने रहने की बात उजागर की है। विशेष रूप से, शोधकर्ताओं ने यह पाया कि सामान्य रेफ्रिजरेशन तापमान पर फ्लू वायरस दूध में लंबे समय तक सक्रिय रहता है, जिससे इसके संभावित जोखिमों को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।

पाश्चराइजेशन का महत्व

अध्ययन के सह-प्रमुख लेखक मेंगयांग झांग ने बताया कि कच्चे दूध (Raw Milk) में संक्रामक फ्लू वायरस का कई दिनों तक बने रहना नए संचरण मार्गों की संभावना को जन्म देता है। पाश्चराइजेशन प्रक्रिया से दूध में मौजूद वायरस पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं। शोध में यह भी पाया गया कि पाश्चराइजेशन के बाद दूध में वायरस की मात्रा 90 प्रतिशत तक घट जाती है, लेकिन कुछ हद तक वायरल आरएनए (जैविक जानकारी का अंश) अभी भी बचा रहता है।

कच्चे दूध का सेवन और स्वास्थ्य जोखिम Consumption of raw milk and health risks

कच्चे दूध (Raw Milk) के समर्थकों का दावा है कि यह दूध पाश्चराइज्ड दूध से अधिक पोषक तत्व, एंजाइम और प्रोबायोटिक्स प्रदान करता है, जो इम्यून सिस्टम और पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद होते हैं। हालांकि, यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) के अनुसार, कच्चे दूध (Raw Milk) में पाए जाने वाले ई. कोली और साल्मोनेला जैसे कीटाणु बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यूनिटी वाले व्यक्तियों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकते हैं।

बर्ड फ्लू और डेयरी सुविधाओं पर प्रभाव

विशेषज्ञों का कहना है कि इस अध्ययन के परिणाम बर्ड फ्लू की बढ़ती चिंताओं के बीच बेहद महत्वपूर्ण हैं। कच्चे दूध में वायरस के जिंदा रहने से डेयरी सुविधाओं और उनके पर्यावरणीय तत्वों का दूषित होना संभव है, जो जानवरों और मनुष्यों दोनों के लिए जोखिम पैदा कर सकता है।

इस अध्ययन ने यह साफ किया है कि दूध के कच्चे (Raw Milk) रूप में वायरस के संभावित खतरे को लेकर निगरानी प्रणालियों को मजबूत करने की आवश्यकता है। खासकर जब बर्ड फ्लू मवेशियों के बीच फैल रहा है, तब दूध की गुणवत्ता और उसके प्रसंस्करण पर और अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।

समग्र रूप से, यह अध्ययन कच्चे दूध के सेवन के जोखिमों और पाश्चराइजेशन के महत्व को रेखांकित करता है, जो स्वास्थ्य के लिए एक जरूरी कदम साबित हो सकता है।

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