Kerala Health Crisis: केरल में अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस नामक दिमागी इंफेक्शन से अब तक 3 लोगों की मौत और 42 केस सामने आए हैं। यह बीमारी गंदे पानी से फैलती है। जानें लक्षण, बचाव और सरकार की तैयारी।
Kerala Health Crisis: केरल इस वक्त एक बड़ी हेल्थ इमरजेंसी से जूझ रहा है। अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (Amoebic meningoencephalitis) नाम की दिमाग की गंभीर बीमारी तेजी से फैल रही है। इस साल अब तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है और 42 केस सामने आए हैं। इसमें छोटे बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर लोग सबसे ज्यादा खतरे में हैं। फिलहाल 8 लोग अस्पताल में भर्ती हैं और उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
3 महीने के एक बच्चे और 52 साल की महिला की मौत कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में हुई। इससे पहले 9 साल की बच्ची की भी इस बीमारी से जान चली गई थी। डॉक्टर्स का कहना है कि शुरू में लक्षण मामूली बुखार, सिर दर्द या जी मिचलाने जैसे दिखते हैं, लेकिन कुछ ही घंटों में दौरे, बेहोशी और कोमा तक की स्थिति हो जाती है।
ये बीमारी एक माइक्रोस्कोपिक अमीबा (Naegleria fowleri) से होती है, जो अक्सर गर्म और गंदे पानी में पनपता है। तालाब, पुराने कुएं, गंदे वॉटर टैंक या बारिश का जमा हुआ पानी इसके बड़े स्रोत हैं। अगर ये पानी नाक के जरिए शरीर में चला जाए तो अमीबा सीधे दिमाग तक पहुंचकर ब्रेन टिश्यू को नुकसान पहुंचाता है। यही वजह है कि इसमें मौत का खतरा 95% तक माना जाता है।
पानी की सफाई और क्लोरीनेशन तेजी से किया जा रहा है। लोगों को सलाह दी गई है कि नाक धोने या स्नान के लिए सिर्फ उबला हुआ या फिल्टर किया हुआ पानी इस्तेमाल करें। तालाब, पुराने कुएं या अनजाने वॉटर सोर्स में तैरने से बचें। किसी को अचानक बुखार, तेज सिर दर्द या उलझन जैसी दिक्कत दिखे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
डॉक्टर्स का मानना है कि क्लाइमेट चेंज और बढ़ती गर्मी की वजह से ऐसे खतरनाक कीटाणु अब ज्यादा तेजी से फैल रहे हैं। इलाज के लिए कुछ दवाइयां (जैसे मिल्टेफोसिन) मौजूद हैं, लेकिन जल्दी इलाज शुरू करना बहुत जरूरी है।
केरल हेल्थ डिपार्टमेंट ने पानी ही जीवन है। नाम से एक जागरूकता अभियान शुरू किया है। स्कूलों, गांवों और मोहल्लों में पानी की साफ-सफाई पर जोर दिया जा रहा है। सबसे जरूरी है कि हम सब सावधान रहें और पानी का इस्तेमाल हमेशा सुरक्षित तरीके से करें।