WHO के अनुसार अकेलापन रोज 15 सिगरेट जितना हानिकारक है। जानें कैसे Loneliness सेहत को नुकसान पहुंचाती है और सद्गुरु क्यों Meditation को इसका समाधान बताते हैं।
Loneliness Health Risks: हम अक्सर सुनते हैं कि अच्छा खाना, नींद और एक्सरसाइज सेहत के लिए ज़रूरी है। लेकिन एक बड़ा हेल्थ रिस्क ऐसा भी है, जिसके बारे में बहुत कम बात होती है, अकेलापन (Loneliness)। WHO की रिपोर्ट बताती है कि Loneliness आपकी सेहत को उतना ही नुकसान पहुंचा सकती है जितना रोज 15 सिगरेट पीना। यह सिर्फ एक भावनात्मक समस्या नहीं है, बल्कि शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से असर डालती है।
Loneliness का असर सिर्फ मन पर नहीं पड़ता, यह पूरे शरीर को कमजोर कर देता है। इससे डिप्रेशन और एंग्जायटी, दिल की बीमारियों का जोखिम, हाई BP और स्ट्रोक, डिमेंशिया, नींद की समस्या, समय से पहले मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। कई लोग परिवार और दोस्तों के बीच रहते हुए भी अंदर से अकेलापन महसूस करते हैं। असली समस्या डिसकनेक्शन की होती है, दूसरों से भी और खुद से भी।
सद्गुरु: “मन आपका साथ दे तो सब ठीक, नहीं तो दुनिया भी छोटी पड़ जाएगी” स्पिरिचुअल लीडर सद्गुरु अकेलेपन को आज की स्वास्थ्य समस्याओं का “सबसे इग्नोर किया हुआ हिस्सा” कहते हैं। उनके मुताबिक “Meditation वह प्रक्रिया है जिससे आप अपने मन को चलाना सीखते हैं। अगर आपका मन आपके साथ है तो परिस्थिति कैसी भी हो, आप संभल जाते हैं। लेकिन अगर मन आपके खिलाफ हो गया, तो महल में रहकर भी दुखी रहोगे।” सद्गुरु का कहना है कि हमारे स्वास्थ्य की असली जिम्मेदारी हमें खुद उठानी चाहिए। जब हम भावनात्मक रूप से मजबूत होंगे, तभी भविष्य की पीढ़ियों के लिए बेहतर उदाहरण बन पाएंगे।
बहुत से लोग सोचते हैं कि ध्यान (Meditation) सिर्फ शांति देने के लिए होता है। लेकिन वास्तव में यह अकेलेपन से बाहर निकलने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका है।
मन का शोर शांत होता है
ओवरथिंकिंग कम होती है
खुद से कनेक्शन बढ़ता है
इमोशनल स्टेबिलिटी मिलती है
आत्मविश्वास और पॉजिटिविटी बढ़ती है
आप खुद की कंपनी ENJOY करना सीख जाते हैं
जब भीतर शांति आती है, तो आपका व्यवहार, ऊर्जा और सोच बदलने लगते हैं। लोग अपने-आप आपकी ओर आकर्षित होते हैं और रिश्ते गहरे महसूस होने लगते हैं।
अकेलापन भारी लग रहा है? बस प्रतिदिन 10 मिनट निकालें, शांत जगह बैठें, आंखें बंद करें, सिर्फ सांसों पर ध्यान दें, विचार आएं तो उन्हें बस देखने दें। खुद के साथ समय बिताना सीखें। धीरे-धीरे आपका मन स्थिर होगा और आप भीतर ही नई मजबूती महसूस करेंगे।