NGS Test For Cancer: कैंसर सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि 100 से ज्यादा बीमारियों का समूह है, जो असामान्य कोशिकाओं के बढ़ने के कारण होता है। भारत में 2023 तक कैंसर के 14 लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनके मुख्य कारण जेनेटिक म्युटेशन और पर्यावरणीय प्रभाव हो सकते हैं।
NGS Test For Cancer: कैंसर सिर्फ एक बीमारी नहीं है, बल्कि 100 से ज्यादा बीमारियों का समूह है, जो शरीर में असामान्य यानी गलत तरीके से बढ़ने वाली कोशिकाओं के कारण होता है। यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है और शुरुआत में इसके लक्षण साफ नहीं दिखते। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के अनुसार, भारत में 2023 तक कैंसर के मामले 14 लाख से ज्यादा थे।
कैंसर का मुख्य कारण जेनेटिक म्युटेशन होते हैं, जो सामान्य कोशिकाओं की बढ़ने और बांटने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। ये म्युटेशन आनुवांशिक रूप से हो सकते हैं या फिर रसायन, रेडिएशन या संक्रमण जैसे पर्यावरणीय कारणों से भी हो सकते हैं।
ICMR के मुताबिक, अगर आपको बार-बार थकान महसूस होना, बार-बार इंफेक्शन होना, शरीर पर आसानी से नीला पड़ना या खून बहना, लिम्फ नोड्स का सूज जाना, हड्डियों या जोड़ों में दर्द, रात को पसीना आना, अचानक वजन कम होना और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण नजर आएं तो सतर्क हो जाइए। ऐसे लक्षण नजर आते ही डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें, क्योंकि शुरुआती जांच से कैंसर का इलाज आसान हो सकता है।
नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग (NGS) एक आधुनिक तकनीक है, जिससे डीएनए और आरएनए में होने वाले म्युटेशन का पता लगाया जाता है। यह तकनीक कम समय में हजारों जीन या पूरे जीनोम की जांच कर सकती है। NGS से ट्यूमर की गहराई से जांच की जाती है और कैंसर से जुड़ी खास म्युटेशन की पहचान होती है, जिससे हर मरीज के लिए अलग और बेहतर इलाज तय किया जा सकता है।
व्यापक जीनोमिक जांच: यह तकनीक जीन में बदलाव जैसे सिंगल न्यूक्लियोटाइड वेरिएशन, इंसर्शन, डिलीशन और जीन फ्यूजन की पहचान करती है, जिससे ट्यूमर के कारण साफ समझ में आते हैं।
बेहतर संवेदनशीलता: NGS बहुत ही कम मात्रा में मौजूद म्युटेशन को भी पकड़ सकता है, जिसे दूसरी तकनीकें नहीं पकड़ पातीं।
लागत में फायदेमंद: शुरू में लागत ज्यादा लगती है, लेकिन एक साथ कई जीन की जांच होने से यह आगे चलकर किफायती साबित होता है।
व्यक्तिगत इलाज: इससे कैंसर को बढ़ाने वाले म्युटेशन की जानकारी मिलती है और मरीज के लिए सही टारगेटेड थेरेपी या इम्यूनोथेरेपी तय की जाती है, जिससे इलाज ज्यादा असरदार होता है।
( इस स्टोरी के लिए रिसर्च पत्रिका डिजिटल के साथ इंटर्नशीप कर रही नव्या शर्मा ने किया है।)